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ओडिशा: आदिवासियों के घर जला दिए और फसल बर्बाद कर दी गई

ओडिशा के नबरंगपुर ज़िले के तीन आदिवासी गांवों के निवासियों ने रविवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा लगाए गए वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने उनके खेत और झोपड़ियों को आग लगा दी. ये आरोप वन संरक्षण समिति कुसुमगुड़ा पर लगा है.

जिसके बाद राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले कपसवता, सरियावत और लोकतिखना गांव के आदिवासियों ने दिन में जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना दिया.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने उमरकोट पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई कि वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने शनिवार शाम को उनकी फसलों और खेतों के पास उनके द्वारा बनाए गई झोपड़ियों को नष्ट कर दिया. अधिकारी ने बताया कि घटना ज़िले के उमरकोट प्रखंड के बुर्जा ग्राम पंचायत के रिजर्व फॉरेस्ट में हुई.

दरअसल राज्य सरकार वनों की रक्षा और संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए स्वयंसेवकों को नियुक्त करती है. वहीं आदिवासी लोगों ने यह भी दावा किया कि वन संरक्षण समूह के सदस्यों ने आसपास के गांवों के 1,000 से अधिक लोगों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, के सामने उनकी मक्का की फसलों और झोपड़ियों को आग लगा दी.

अधिकारियों का कहना है कि कोंध जनजाति के लोगों और वन संरक्षण समूह के सदस्यों के बीच हाथापाई हुई, जो ज्यादातर कुसुमगुडा, बामंडीभाटा और सिरलीगुडा के रहने वाले हैं. यह लंबे समय से चला आ रहा विवाद है. वन सुरक्षा समिति का आरोप है कि आदिवासी वन भूमि पर अतिक्रमण कर मक्के की खेती कर रहे हैं.

स्थानीय राजस्व मंडल अधिकारी ने कहा कि कपसवता, सरियावत और लोकतिखना गांवों में रहने वाले कोंध आदिवासी लंबे समय से वन क्षेत्र में खेती कर रहे हैं, और वे वन अधिकार अधिनियम के अनुसार 147 घरों में से प्रत्येक के लिए 10 एकड़ वन भूमि की मांग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, “उन्हें खेती के लिए दो या तीन एकड़ जमीन आवंटित की गई है. तीन आदिवासी गांवों में 147 घर हैं. दूसरी ओर वन सुरक्षा समिति ने आदिवासियों पर खेती के लिए उनके आवंटन से अधिक वन भूमि का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है.”

आंदोलनकारी कोंध आदिवासी किसानों ने दिन में नबरंगपुर के अपर जिलाधिकारी (Additional District Magistrate ) भास्कर रायता से मुलाकात कर उनसे विस्तृत चर्चा की.

एडीएम ने कहा, “जिला प्रशासन विवाद का स्थायी समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है. फसलों को नुकसान पहुंचाने, झोपड़ियों में आग लगाने और तीन गांवों के खेती करने वाले कोंध आदिवासियों पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी.”

सहायक वन संरक्षक धनुरजया महापात्रो ने भी कहा, ”मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. विवाद 2013 से जारी है.”

वहीं सूत्रों का कहना है कि ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस को सूचित किया था और इस तरह की घटना की आशंका से वन सुरक्षा समिति से सुरक्षा की मांग की थी.

(Image Credit: @UpendraSuryaDe1)

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