Site icon Mainbhibharat

ओडिशा के कोरापुट में आदिवासियों ने फॉरेस्ट रिजर्व में बॉक्साइट खनन का विरोध किया

ओडिशा के कोरापुट जिले में हजारों आदिवासियों ने मंगलवार को नागेश्वरी रिजर्व फॉरेस्ट (Nageswari Reserve Forest) में प्रस्तावित बॉक्साइट खनन परियोजना के विरोध में एक विशाल प्रदर्शन किया.

नंदापुर ब्लॉक में 13 ग्राम सभाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रदर्शनकारियों ने सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समितियों (CFRMCs) के बैनर तले विरोध मार्च निकाला.

पर्यावरण को होने वाले नुकसान और अपनी आजीविका पर खतरे की चिंता जताते हुए आंदोलनकारियों ने परियोजना पर तत्काल रोक लगाने की मांग की.

सीएफआरएमसी के अध्यक्ष सीताराम सिसा ने कहा, “हम खनन गतिविधियों के लिए एक इंच भी जमीन नहीं देंगे.”

ग्रामीणों ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) के हस्तक्षेप की मांग करते हुए उन्होंने नंदपुर तहसीलदार प्रभाती झोडिया को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें प्रस्तावित खनन गतिविधि के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया गया.

ज्ञापन में ग्रामीणों ने 2006 के वन अधिकार अधिनियम (FRA), 1996 के पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA) और संविधान की पांचवी अनुसूचित के नियमों सहित प्रमुख सुरक्षात्मक कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया.

ज्ञापन में कहा गया है, “खनन के लिए नागेश्वरी रिजर्व फॉरेस्ट को पट्टे पर देना FRA का सीधा उल्लंघन है. जो वन भूमि के किसी भी मोड़ से पहले ग्राम सभाओं की सहमति को अनिवार्य बनता है. हमारी ग्राम सभाओं से न तो परामर्श किया गया और न ही उन्होंने इस परियोजना के लिए सहमति दी.”

तहसीलदार प्रभाती झोड़िया ने आश्वासन दिया कि ज्ञापन आवश्यक कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेजा जाएगा.

जिला प्रशासन और ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खनन परियोजना के संबंध में 6 मार्च को सार्वजनिक सुनवाई की. हालांकि ग्रामीणों का दावा है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ कर दिया गया.

राज्य सरकार ने 4 एमटीपीए की प्रस्तावित क्षमता के साथ 144.945 हेक्टेयर में फैली बालदा बॉक्साइट खदान को एक निजी कंपनी को आवंटित किया है. इस परियोजना में 800-टीपीएच क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट शामिल हैं.

प्रदर्शनकारियों ने प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देते हुए खनन पट्टे को तत्काल रद्द करने और 6 मार्च की सार्वजनिक सुनवाई को रद्द करने की मांग की.

उन्होंने चेतावनी दी कि खनन गतिविधि पारंपरिक आजीविका, जैव विविधता, जल स्रोतों और जंगल के भीतर पवित्र स्थलों को ख़तरे में डालती है.

कोरापुट के सब-कलेक्टर प्रेमलाल हियाल के मुताबिक, 6 मार्च को एक जन सुनवाई आयोजित की गई थी. जिसमें ग्रामीणों को परियोजना से संबंधित सामाजिक-आर्थिक चिंताओं को उठाने का अवसर प्रदान किया गया था, जिसमें कई लोगों ने चर्चा में भाग लिया था.

कार्यवाही, जिसकी वीडियोग्राफी की गई थी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजी जाएगी.

सब-कलेक्टर ने कहा, “अब ग्रामीणों ने कुछ चिंताओं को उठाते हुए एक नया ज्ञापन प्रस्तुत किया है और इसे आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को भेज दिया जाएगा.”

Exit mobile version