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जनजातीय गौरव दिवास: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिरसा मुंडा के गांव पहुंच कर भाषण देंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को आदिवासी नायक और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जन्मस्थली का दौरा कर सकते हैं. 

2021 में उनकी सरकार ने बिरसा मुंडा की जयंति को जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी.

झारखंड में प्रधानमंत्री के इस संभावित दौरे से राज्य के बीजेपी नेताओं में उत्साह है. उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे से आदिवासी समुदायों में बीजेपी को अपनी ज़मीन मजबूत करने में मदद मिलेगी.

विषेश रुप से भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एसटी की आरक्षित सीटों में खूंटी, लोहरदगा और दुमका जीत ली थी. जबकी सिंहभूम और राजमहल क्रमशः कांग्रेस और झामुमो के खाते में गईं.

वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में आरक्षित (एसटी) 28 सीटों में से बीजेपी केवल 2 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी.

जबकि 2014 के विधानसभा चुनाव में उसे 13 सीटें मिली थीं. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार का मुख्य कारण तत्कालीन रघुबर दास सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए गलत नीतिगत फैसले थे.

आदिवासी इलाकों में घटते वोट बैंक से चिंतित बीजेपी झारखंड मुक्ति मोर्चा के पारंपरिक वोट बैंक कहे जाने वाले आदिवासी मतदाताओं का विश्वास जीतने की पूरी कोशिश कर रही है.

पिछले साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के खूंटी जिले में स्थित बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू का दौरा किया था.

5 राज्यों के चुनाव में भी फ़ायदे की उम्मीद

फिलहाल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिज़ोरम मे चुनाव प्रचार ज़ोरों पर है. इन 5 राज्यों में आदिवासी मतदाता काफी महत्व रखता है.

इन 5 राज्यों में से अगर मिज़ोरम को छोड़ दें तो बिरसा मुंडा को एक सर्वमान्य आदिवासी नायक के तौर पर देखा जाता है.

इसलिए जब प्रधानमंत्री बिरसा मुंडा की ज़मीन पर जा कर आदिवासियों को संबोधित करेंगे तो यह ज़ाहिर बात है कि उनकी बात अन्य राज्यों के आदिवासियों तक भी पहुंचेगी.

मतदान से ठीक पहले कैसे अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया जाता है, इस काम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक माहिर नेता माना जाता है.

17 नवंबर को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मतदान है और 15 तारीख की शाम चुनाव प्रचार थम जाएगा. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास उसी दिन आदिवासी मतदाताओं संबोधित करने का अवसर होगा.

हालांकी, ज़िला प्रशासन इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है और उन्होंने कहा की वे यहाँ आने वाले किसी भी व्यक्ति का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

वहीं खूंटी के डीसी लोकेश मिश्रा ने कहा की जो भी यहां आएगा हम उनका स्वागत के लिए तैयार हैं. लेकिन जहां तक प्रधानमंत्री की आने की बात है. इस संबंध में अभी तक हमारे पास कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है”.

हालांकि मोदी जी का आधिकारिक यात्रा कार्यक्रम राज्य सरकार तक नहीं पहुंचा है, लेकिन ऐसा बताया जा रहा की मोदी एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करेंगे और आदिवासियों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उलिहातु यात्रा झारखंड के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगी क्योंकि वहां अगले साल लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

झारखंड के आदिवासी ही वोट के लिए निर्णय लेने का हक रखते हैं. वहीं 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर नजर रखते हुए बीजेपी ने दीपक प्रकाश की जगह बाबूलाल मरांडी को राज्य पार्टी प्रमुख नियुक्त किया था.

राजनीतिक विशेषज्ञों  बताया की 2024 के चुनाव में बीजेपी के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं- पहली, 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों को दोहराना और दूसरी, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य की खोई हुई सत्ता वापस हासिल करना है.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदिवासी गढ़ पर सेंध लगाने के लिए 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों में नेतृत्व के लिए मरांडी को ही चुना है.

इसी बीच  सोरेन विधानसभा में एक के बाद एक विधेयक लाकर आदिवासी और मूलवासी वोटों को मजबूत करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

झारखंड बीजेपी के प्रमुख बाबूलाल मरांडी द्वारा निकाली जा रही ‘संकल्प यात्रा’ के समापन समारोह में हिस्सा लेने के लिए राष्ट्रीय बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी 28 अक्टूबर को झारखंड आएंगे.

कहा जा सकता है की आदिवासी वोट को साधने के बीजेपी इसबार कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

झारखंड में कुल अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या लगभग 26.2 है. इसलिए ऐसा माना जाता है की सत्ताधर बीजेपी और कांग्रेस के आदिवासी वोट बहुत मायने रखती है.

वहीं झारखंड में कुल विधानसभा सीटें 81 है. जिसमें में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.

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