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केरल: आदिवासी छात्रों के लिए कॉलेज दाखिले की ऑनलाइन प्रक्रिया बनी सिरदर्द

केरल में भले ही कॉलेजों में ग्रैजुएट प्रोग्राम के लिए ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई हो, लेकिन राज्य के दूरदराज़ के इलाक़ों में रहने वाले कई आदिवासी छात्र इंटरनेट न होने की वजह से दाखिले की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

इंटरनेट की अनुपलब्धता का सबसे ज़्यादा असर अट्टपाड़ी जैसी आदिवासी बस्तियों में रहने वाले छात्रों पर पड़ रहा है. हालांकि आदिवासी गोत्र महासभा जैसे आदिवासी कल्याण संगठन छात्रों के लिए ऑनलाइन एप्लिकेशन भर उनकी मदद कर रहे है, लेकिन अधिकांश छात्रों को इसके बारे में पता नहीं है.

अगर हालात नहीं सुधरते तो इन बस्तियों में से ग्रैजुएट प्रोग्राम में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में इस साल भारी गिरावट होगी, और कई प्रतिभाशाली आदिवासी छात्रों का उच्च शिक्षा का सपना अधूरा रह जाएगा.

केरल में हर पंचायत ब्लॉक में अक्षया केंद्र हैं, जहां सरकारी दस्तावेज़ों के लिए आवदेन भरने से लेकर, इंटरनेट ऐक्सेस किया जा सकता है. लेकिन कोविड महामारी के चलते हुए लॉकडाउन ने छात्रों की इन केंद्रों तक पहुंच को मुश्किल कर दिया है.

इसके अलावा, सरकार से जाति प्रमाण पत्र मिलना भी एक चुनौती है, जिससे इनके हर काम में देरी हो रही है. ऑनलाइन आवेदन के लिए इस तरह के कई दस्तावेज़ों को अपलोड करना ज़रूरी है.

आदिवासी संगठनों के अलावा, ऐसे कई आदिवासी छात्र हैं जिन्होंने पिछले साल अलग-अलग कॉलेजों में UG प्रोग्राम में दाखिला लिया था, और वो अपने जूनियर्स की मदद करने को तैयार हैं. लेकिन कई छात्र इनकी मदद लेने से हिचकिचा रहे हैं.

पिछले साल आलुवा यूसी कॉलेज में दाखिला लेने वाले अट्टपाड़ी के ही पी अय्यप्पन ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “मैं अट्टपाड़ी की तूक्कुडी बस्ती का निवासी हूं. मैंने आदिवासी गोत्र महासभा के कार्यक्रम आदिशक्ति के ज़रिये पाँच छात्रों का ऑनलाइन आवेदन भरा. लेकिन अट्टपाड़ी की अधिकांश बस्तियों में ज़ीरो नेटवर्क और कनेक्टिविटी है, इसलिए दूसरों तक पहुंचना बेहद मुश्किल है. अगर हम किसी तरह उनसे संपर्क स्थापित कर भी लेते हैं, तब भी उन्हें इस पूरे प्रोसेस के लिए मनाना मुश्किल है.”

अट्टपाड़ी पालक्काड ज़िले में आता है, और यहां 196 आदिवासी गांव हैं. इन सभी गांवों में कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने इस साल बारहवीं की पढ़ाई पूरी की है. अगर उन्हें कॉलेजों में दाखिला नहीं मिला, तो न सिर्फ़ उनका साल बर्बाद हो जाएगा, बल्कि इस बात की भी संभावना है कि वो पढ़ाई ही छोड़ देंगे.

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