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21 हजार करोड़ का बजट, शिवराज सरकार ने आदिवासियों के लिए रखे महज 400 रुपए

भोपाल जबलपुर और इंदौर में आदिवासियों के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित कर लाखों रुपए खर्च करने वाली और आदिवासी रानी कमलापति के नाम पर भोपाल के रेलवे स्टेशन का नाम करने वाली बीजेपी सरकार ने मध्य प्रदेश विधानसभा में आदिवासियों के लिए 400 रुपये के बजट का प्रावधान किया है.

मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आदिवासी समुदाय के कांग्रेसी विधायकों ने बार-बार हंगामा किया, जिन्होंने आरोप लगाया कि शिवराज सिंह सरकार वर्षों से आदिवासी समुदाय के लिए बजट में धीरे-धीरे कटौती कर रही है.

दरअसल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन विधानसभा में जिस समय ओबीसी आरक्षण को लेकर बहस चल रही थी और हंगामा हो रहा था उस दौरान अनुपूरक बजट पास किया गया जिसमें जनजाति कार्य विभाग के लिए मात्र 400 रुपये का प्रावधान था.

सत्र के पांचवे दिन शुक्रवार को जब आदिवासी विधायकों को इस बात की खबर लगी तो उन्होंने सदन के अंदर जमकर हंगामा किया और सदन से वॉकआउट कर मीडिया सेंटर में भी जमकर हंगामा किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.

जहां मध्य प्रदेश सरकार इसको मात्र प्रावधान बता रही है और इसमें राशि विभाजन के बाद काम होने की बात कह रही है तो वहीं विपक्ष सरकार को आदिवासी विरोधी सरकार कह रही है.

दरअसल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 21 हजार करोड़ के अनुपूरक बजट को मंजूरी दी गई है. अहम बात ये है कि जनजाति कार्य के लिए महज 400 रुपये का प्रावधान किया गया हैं. इसको लेकर विधानसभा में कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने जमकर हंगामा किया.

मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने सदन के अंदर और बाहर आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने आदिवासी समुदाय के लिए 400 रुपये के बजट का प्रावधान किया है.

मरकाम ने आरोप लगाया कि सत्र स्थगित होने के बाद राज्य सरकार ने 21000 करोड़ के बजट को पास किया गया और हम से चर्चा नहीं की गई. बिना चर्चा के बजट पास कर लिया गया और इसमें मध्य प्रदेश की आदिवासी आबादी जो कि कुल जनसंख्या का 22 फीसदी है उसके लिए मात्र 400 का प्रावधान किया गया है.

मरकाम ने कहा कि शिवराज सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है. हमने अपने जेब से सौ-सौ के 4 नोट निकाले और कहा कि शिवराज जी को मैं ये 400 रुपये वापस देना चाहता हूं जो उन्होंने मध्य प्रदेश की 22 फीसदी आबादी को देने का बजट पास किया है. यह कहना चाहूंगा कि यह सरकार आदिवासियों के हित में नहीं है.

मरकाम को पूर्व केंद्रीय मंत्री और झाबुआ सीट से कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया का समर्थन प्राप्त था. स्पीकर गौतम ने मरकाम से कहा कि वह इस मुद्दे को उठाने के लिए शून्यकाल के दौरान समय देंगे. लेकिन मरकाम ने जोर देकर कहा कि उन्हें सदन में इस मुद्दे का उल्लेख करने के लिए तुरंत समय चाहिए.

वहीं जय आदिवासी युवा शक्ति एक आदिवासी संगठन के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर हीरालाल अलावा ने कहा कि इन विधायकों ने दावा किया कि 2016-17, 2017-18 में 4,000 करोड़ रुपये के आदिवासी बजट को घटाकर 1,700 करोड़ रुपये कर दिया गया है. डॉक्टर अलावा ने आरोप लगाया कि आदिवासियों के लिए बनाए गए बजट को आदिवासी गौरव दिवस पर खर्च किया गया.

जबकि इस मामले में सरकार के प्रवक्ता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है सदन में बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष मौजूद नहीं रहा और जब कल बजट पास हो गया तो उस पर आज हंगामा कर रहे हैं. जो 400 रुपये की बात कर रहे हैं वह बजटीय प्रावधान है जो जीरो भी हो सकता है और 1 रुपये भी हो सकता है. बजटीय प्रावधान है फिर राशि का बाइफर्केशन होता है और काम होते हैं.

उन्होंने आगे कहा, “लोकतंत्र में चुनाव एक कसौटी होता है अभी जो अलीराजपुर में चुनाव हुआ है उसके आदिम जाति जनजाति बहुल सीट पर बीजेपी जीती है. प्रधानमंत्री भोपाल आ गए, गृहमंत्री अमित शाह जबलपुर आ गए. कांग्रेस की चारों तरफ से जमीन खिसक रही है.”

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