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आंध्र प्रदेश सरकार आदिवासी इलाक़ों में ग़ैर-आदिवासियों को देगी ज़मीन का अधिकार

आंध्र प्रदेश सरकार के फ़्लैगशिप कार्यक्रम, जगनन्ना शाश्वत गृह हक्कू (one-time settlement), ने विशाखापत्तनम के एजेंसी इलाक़ों ने आदिवासियों को नाराज़ कर दिया. आदिवासियों का मानना है कि इस योजना से 1970 के भूमि हस्तांतरण विनियमन अधिनियम 1 का उल्लंघन करेगा, जो गैर-आदिवासियों को आदिवासी भूमि के ट्रांस्फ़र को रोकता है.

इस कानून के तहत एजेंसी इलाक़ों में सिर्फ़ आदिवासियों को ही संपत्ति का अधिकार है, और जो पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले इलाक़े में भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाता है. हालांकि, शाश्वत गृह हक्कू योजना के कार्यान्वयन पर राज्य सरकार के आदेश में एजेंसी इलाक़े भी शामिल हैं.

गिरिजन संघम के अनुसार, आदेश के कार्यान्वयन से गैर-आदिवासियों को एजेंसी इलाक़े में संपत्ति पर हक़ जताने में मदद मिलेगी. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, संघम के सचिव पी अप्पला नरसा ने कहा कि उनकी मांग इस योजना को निलंबित करने की है.

शाश्वत गृह हक्कू योजना का विस्तार सरकारी योजनाओं के तहत बने मकानों, या सरकारी कर्ज़ से बने मकानों के लिए किया जा रहा था. हाउस टैक्स का भुगतान करने वाले मकान वन टाइम सेटलमेंट के तहत पंजीकरण के लिए पात्र होंगे.

उन्होंने कहा कि कई गैर-आदिवासी पडेरू, पेडाबयाल्यू, मुंचिंगपुट, चितंतपल्ले, अरकू और कई दूसरे एजेंसी मंडलों में हाउस टैक्स भरते हैं, और यह योजना उन सबको अपने घर पंजीकृत करने का अधिकार देगी, क्योंकि इस योजना के तहत घरों की मैपिंग पहले ही की जा चुकी है.

यह 1970 के भूमि हस्तांतरण विनियमन अधिनियम 1 का उल्लंघन होगा, क्योंकि इस योजना के तहत गैर-आदिवासियों के घरों को पंजीकृत न करने के दिशानिर्देश नहीं हैं. ज़ाहिर है इससे एजेंसी इलाक़ों में 5,000 गैर-आदिवासी घरों के पंजीकरण में मदद मिलेगी. अनुसूचित इलाक़ों में सिर्फ़ आदिवासियों को स्थायी आवास का अधिकार दिया जाना चाहिए.

इस बीच, गिरिजन संघम ने आदिवासी कर्मचारी संघ और दूसरे आदिवासी संगठनों के साथ मिलकर 22 अक्टूबर को पडेरू में इस योजना के विरोध में ‘चलो आईटीडीए’ की घोषणा की है.

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