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महाराष्ट्र: पालघर के दूरदराज़ के आदिवासी इलाकों में अब ड्रोन पहुंचाएगा स्वास्थ्य सेवाएं

महाराष्ट्र के आदिवासी-बहुल पालघर ज़िले में जल्द ही आदिवासियों तक ज़रूरत के सामान की डिलिवरी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा.

पालघर में ड्रोन के इस्तेमाल को हरी झंडी नागरिक उड्डयन मंत्रालय के उस फ़ैसले का हिस्सा है जिसमें राज्य सरकारों और निजी कंपनियों समेत 10 संगठनों को Unmanned Aircraft System (UAS) Rules, 2021 के तहत छूट दी गई है.

पालघर के ज़िला कलेक्टर माणिक गुरसाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ड्रोन का इस्तेमाल दूर-दराज़ के इलाकों में दवाएं, कोविड-19 वैक्सीन और इंजेक्शन पहुंचाने के लिए किया जाएगा.

उन्होंने कहा, “हमारे स्वास्थ्य अधिकारी पिछले दो महीनों से इस ड्रोन सिस्टम को लॉन्च करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए हमने मंजूरी मांगी थी.”

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सोमवार को परियोजना को मंजूरी दी थी. इसके तहत 10 राज्य सरकारों और निजी कंपनियों को ड्रेन के इस्तमाल की अनुमति दी गई है.

पालघर जिले में यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा की जाएगी, जिसे जवाहर के आदिवासी इलाक़ों में ज़रूरी स्वास्थ्य संबंधी सामान को बांटने के लिए experimental BVLOS, Beyond Visual Line-Of-Sight (विजुअल लाइन-ऑफ-विज़न से परे) ड्रोन उड़ानें संचालित करने की अनुमति मिली है.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एस सूर्यवंशी के मुताबिक़ यह प्रस्ताव एक पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसके माध्यम से दूरदराज़ के इलाकों में वैक्सीन और आपातकालीन दवाएं भेजने की योजना बनाई जा रही है. इसके लिए एक ख़ास एजेंसी की सेवाओं का उपयोग किया जाएगा, जिसने इस काम में रुचि दिखाई है.

ज़्यादातर आदिवासी आबादी वाला पालघर, महाराष्ट्र-गुजरात सीमा पर स्थित है. पालघर ज़िला कुपोषण से होने वाली मौतों और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से होने वाली मौतों के लिए बदनाम है.

स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अगर ड्रोन नेटवर्क सफ़ल होता है, तो दवाओं और दूसरे ज़रूरी सामान को ऐसे इलाक़ों तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया को बदला जा सकता है. पालघर में पहले प्रयोग के बाद ड्रोन का इस्तेमाल ज़्यादा से ज़्यादा किया जा सकेगा.

पालघर प्रशासन के अलावा जिन नौ कंपनियों को छूट मिली है, उनमें गंगटोक स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, पश्चिम बंगाल के बर्नपुर स्थित स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) का प्लांट, हैदराबाद की एशिया पैसिफिक फ्लाइट ट्रेनिंग एकेडमी, गुजरात की ब्लू रे एविएशन, ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बायर क्रॉप साइंस, और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान, पुणे शामिल हैं.

इसके अलावा कर्नाटक सरकार को बेंगलुरु में शहरी संपत्ति के स्वामित्व रिकॉर्ड बनाने के लिए ड्रोन-आधारित हवाई सर्वेक्षण की अनुमति मिली है.

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