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पालघर पेट्रोल पंप मालिक ने दो आदिवासी महिलाओं को दिया रोजगार

महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक पेट्रोल पंप के मालिक ने दो आदिवासी महिलाओं को रोजगार दिया है. पालघर पेट्रोल पंप के मालिक मनीष पिंपल ने पाटिलपाड़ा की दो आदिवासी महिलाओं को अपने बंकर में रखा है. इतना ही नहीं मनीष पिंपल दोनों आदिवासी महिलाओं की आगे की शिक्षा के लिए फंड भी देंगे. क्योंकि कोविड-19 महामारी के चलते कई महिलाओं को अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी.

पालघर जिले में यह पहला ऐसा बंकर है जहां आदिवासी महिलाओं को रोजगार दिया गया है. मसवान के रहने वाले मनीष पिंपल पिछले दो दशक से पालघर में प्रिया पेट्रोल पंप चला रहे हैं.

पिंपल ने कहा, “मुझे पता चला कि 18 साल की दीपाली तुम्बाडा और 20 साल की प्रीति जाधव ने मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी और वित्तीय संकट के चलते अपनी शिक्षा खो दी है. दोनों महिलाओं के माता-पिता खेतीहर मजदूर हैं. वो मसवान और आसपास के क्षेत्रों में धान के खेत में काम करके अपना जीवन यापन करते हैं. ये दोनों महिलाएं भी अपनी पढ़ाई छूटने के बाद खेतों में काम कर रही थीं.”

पेट्रोल पंप मालिक ने इसके बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम कंपनी लिमिटेड (HPCL) से संपर्क किया क्योंकि वह उनकी फ्रेंचाइजी चलाते हैं. पिंपल ने कहा, “जब मैंने महिलाओं की मदद करने का अपना विचार साझा किया तो उन्होंने मुझे आगे बढ़कर महिलाओं को काम पर रखने के लिए कहा.”

महिलाओं को बंकर में एक महीने की ट्रेनिंग दी गई थी कि ईंधन पंप कैसे शुरू करें, सही मात्रा में भरें, वाहनों में हवा भरने के साथ-साथ दुर्घटनाओं से बचने के लिए अग्निशमन की ट्रेनिंग भी दी गई.

मनीष पिंपल ने कहा, “महिलाएं ट्रेनिंग लेने के लिए बहुत उत्सुक थीं और एक महीने के बाद उन्हें सितंबर में मेरे स्टेशन पर नियुक्त किया गया. उन्हें 6 हज़ार रुपए का मासिक वजीफा मिलता है और हम उनकी वर्दी का खर्च वहन करते हैं. यह पालघर जिले का पहला बंकर है जहां आदिवासी महिलाओं को रोजगार दिया गया है, समाज में बदलाव लाने की उम्मीद के साथ.”

उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा ‘नमस्ते’ और एक मुस्कान के साथ उनका स्वागत करते देख ग्राहक हैरान रह गए. पिंपल ने कहा कि तुम्बाडा और पाटिल अगले शैक्षणिक वर्ष से यशवंतराव ओपन यूनिवर्सिटी, नासिक में कला की डिग्री के लिए नामांकित होना चाहते हैं.

पिंपल ने कहा, “मैं चाहता हूं कि महिलाएं एक सुरक्षित करियर बनाए. मैं उनकी शिक्षा का ध्यान रखूंगा और उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में उनकी मदद करूंगा. वे पढ़ाई के साथ-साथ मेरे बंकर में काम करना जारी रख सकती हैं.”

उन्होंने कहा, “दीपाली ने पालघर के एक कॉलेज से 12वीं पास की है जबकि प्रीति ने मसवान के सरकारी स्कूल से 10वीं तक पढ़ाई की है. अगर एक दिन दोनों कलेक्टर या क्लास-1 अधिकारी बन जाती हैं तो मैं इसे समाज के लिए अपना छोटा सा योगदान मानूंगा. सिर्फ इसलिए कि कोविड महामारी के कारण दो महिलाओं को अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी उन्हें एक अच्छा भविष्य पाने का अवसर नहीं खोना चाहिए.”

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