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आदिवासी महिला की मौत पर भी राजनीतिक दलों को सूझ रही राजनीति

केरल के वायनाड में एक आदिवासी महिला के शव को अंतिम संस्कार के लिए ऑटो रिक्शा में ले जाने की घटना पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कड़ी नाराजगी जताई है.

उन्होंने इसे आदिवासी समुदाय के प्रति अपमानजनक नज़रिए और घृणा का नतीजा बताया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.

क्या है पूरा मामला?

सोमवार को वायनाड ज़िले के मनंथवडी क्षेत्र में चूंडम्मा नामक एक 80 वर्षीय बुज़ुर्ग आदिवासी महिला की मृत्यु हो गई.

परिवार ने अंतिम संस्कार के लिए शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए एम्बुलेंस की मांग की थी. लेकिन जब रातभर इंतज़ार करने के बाद भी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं करवाई गई तो मजबूरी में परिवार को दोपहर के वक्त शव को दो किलोमीटर दूर ऑटो रिक्शा में ले जाना पड़ा.

परिवार का कहना है कि उन्होंने मौत के तुरंत बाद संबंधित अधिकारी यानी अनुसूचित जनजाति प्रमोटर को एम्बुलेंस की आवश्यकता की जानकारी दी थी लेकिन इसके बावजूद समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुंची.

विरोध प्रदर्शन और प्रशासन की कार्रवाई

इस घटना के बाद स्थानीय पंचायत अध्यक्ष के नेतृत्व में कई प्रदर्शनकारियों ने मनंथवडी ट्राइबल ऑफिस पर प्रदर्शन किया.

प्रदर्शनकारियों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. प्रशासन ने अनुसूचित जनजाति प्रमोटर को निलंबित कर दिया और जांच का आश्वासन देकर प्रदर्शन को शांत करवाया.

बीजेपी की प्रतिक्रिया

केरल बीजेपी ने इस मामले को लेकर प्रियंका गांधी पर निशाना साधा. बीजेपी नेताओं ने कहा कि प्रियंका गांधी वायनाड की सांसद होने के बावजूद क्षेत्र में आदिवासी कल्याण को लेकर लापरवाह हैं. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी दूसरे मुद्दों में व्यस्त हैं जबकि उनके क्षेत्र के आदिवासी समुदाय को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं.

प्रियंका गांधी ने क्या कहा?

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस घटना को आदिवासी समुदाय के साथ किए जा रहे व्यवस्थित उपेक्षा का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा, “यह घटना सिर्फ एक एम्बुलेंस की देरी नहीं है, बल्कि यह इस बात को दर्शाती है कि आदिवासी इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का कितना अभाव है.”

उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सिर्फ आदिवासी प्रमोटर को निलंबित कर देना पर्याप्त नहीं है. उन्होंने इस घटना को उँचे पदों पर बैठे अधिकारियों का दोष बताते हुए कहा कि जिम्मेदारी केवल निचले स्तर के कर्मचारियों की नहीं है बल्कि उन उच्च पदों पर बैठे लोगों की भी है, जो ऐसी स्थितियों की अनदेखी करते हैं.

प्रियंका गांधी ने कहा कि आदिवासी समुदाय भी सम्मान और बुनियादी सुविधाओं का हकदार है और सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.

यह घटना आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक विफलता को उजागर करती है.

विडंबना ये है कि जब भी ऐसी घटनाएं सामने आती हैं तो राजनीतिक पार्टियां इन समस्याओं का समाधान निकालने और आदिवासियों को बुनियादि सुविधाएं उपलब्ध करवाने की बजाय अपना उल्लू सीधा करने में लग जाती हैं, जैसा कि आप इस घटना में भी देख रहे हैं.

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