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ओडिशा राज्य में पर्यावास अधिकार प्राप्त करने वाली पहली जनजाति बनी पौडी भुइयां

लोक सेवा भवन के मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना ने देवगढ़ जिले में रहने वाले पौडी भुइयां आदिवासी समूह को वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत शुक्रवार को आवास अधिकार दिया.

देवगढ़ के बारकोटे ब्लॉक के 32 गांवों में  रहने वाले ये आदिवासी विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह अर्थात् पीवीटीजी (PVTG) की श्रेणी में शामिल है.

इस घोषणा के पश्चात यह पर्यावास अधिकार पाने वाली राज्य की पहली और देश की चौथी जनजाति बन गई है. इससे पहले  केवल मध्य प्रदेश में भारिया पीवीटीजी और छत्तीसगढ़ में कमार और बैगा पीवीटीजी समुदाय को ही ये हक मिले हुए थे.

पौडी भुइयां समुदाय ने 15 सितंबर, 2021 को बारकोटे तहसील के अंतर्गत आने वाले बामुंडा आंचलिका पौडी भुइयां समाज के माध्यम से अधिकार आवास का दावा दायर किया था.

अधिकारियों ने कहा कि दावा दाखिल करने की प्रक्रिया के समय अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (एससीएसटीआरटीआई) ने तकनीकी सहायता भी प्रदान की थी.

अधिकारियों ने जानकारी दी कि इस साल 7 मार्च को, पौडी भुइयां समुदाय के आवास अधिकार के दावे को एक बैठक में मंजूरी दे दी गई, जिसमें मां रंभा देवी पवित्र उपवन पर सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों को भी मंजूरी दी गई.

क्या है पर्यावास अधिकार?

पर्यावास अधिकार पीवीटीजी को उनके पारंपरिक क्षेत्र पर अधिकार प्रदान करता है, जिसमें रहने के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र के साथ-साथ जीविका के साधन भी शामिल होते हैं.

इसके अलावा अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक विचारधारा रखने का,  पीढियों से चली आ रही सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति की सुरक्षा, संरक्षण और प्रचार का भी अधिकार देता है.

कौन हैं पौडी भुइयां?

पौडी भुइयां ओडिशा के आदिम जनजातीय समूहों में से एक है ,यह भुइंया जनजाति का ही एक प्रमुख वर्ग है और इसे हिल भुइयां के नाम में भी जाना जाता है.

पौडी भुइयां सुंदरगढ़, क्योंझर, मयूरभंज, संबलपुर, देवगढ़ और अनुगुल जैसे क्षेत्रों में रहते हैं. इनकी अधिकतर बस्तियां एसी पहाड़ियों पर स्थित हैं, जहां मानसून के दौरान आसानी से पहुंचा नहीं जा सकता.

ये आदिवासी पारंपरिक किसान हैं. ये भुइंया घाटियों में धान की खेती और पहाड़ी ढलानों में झूम खेती (Shift Cultivation) करते थे. यह आदिवासी समुदाय रस्सी बनाने में माहिर माना जाता  है. इसके लिए महुआ के फूल, आम, छप्पर वाली घास और रेशे जैसी लघु वन उपज भी एकत्र करते हैं.

देश के कई अन्य आदिवासी समुदायों की तरह से ही पौड़ी भुइंया समुदाय की भी अपनी सामाजिक व्यवस्था है.

जैसे इस समुदाय में भी अपने समाज के युवाओं को समाज की परंपरा, संस्कृति और जीने की कला सीखाने के लिए युवागृह (Dormitory) बनाए जाते हैं.

ये बरसात के मौसम में मछली पकड़ने का काम भी करते हैं. पीढ़ियों से उन्हें अपने क्षेत्र या पूजा-पद्धति के आधार पर कोई विशेष पहचान नहीं मिली है.

ओडिशा सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस समुदाय की कुल जनसंख्या 13776 है. इस लिहाज से यह आदिवासी समुदाय भी उन जनजातीय समूहों में शामिल हैं जिनकी संख्या कम होती जा रही है.

इस बदलाव से पौडी भुइयां समुदाय को सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक पहचान मिल सकेगी.

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