गुजरात की राजनीति में हाल ही में एक बड़ा विवाद उस समय खड़ा हो गया जब AAP विधायक चैतर वसावा ने नए आदिवासी मंत्री नरेश पटेल के फोटो शूट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पर हमला किया.
नवसारी जिले में हुई बेमौसम बारिश के कारण किसानों की फसल खराब हो गई थी, और ऐसे गंभीर समय में मंत्री नरेश पटेल दस कैमरामैन लेकर निरीक्षण पर चले गए.
इस पर चैतर वसावा ने सवाल उठाते हुए कहा कि फसल की हालत इतनी खराब है कि उससे बदबू आ रही है, लेकिन मंत्री फोटो शूट करवाने में व्यस्त थे.
उन्होंने मुख्यमंत्री को टैग करते हुए कहा कि किसानों की मेहनत की ऐसी फसल देखकर मंत्री क्या सोचते हैं.
भारी बारिश और बेमौसम बारिश ने नवसारी जिले के किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया था,
इसलिए आदिवासी मंत्री नरेश पटेल ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में तापी-नवसारी के अधिकारियों के साथ मिलकर नुकसान का निरीक्षण किया और किसानों से बातचीत भी की.
मंत्री नरेश पटेल की एक वीडियो वायरल हुई, जिसमें वह फसल से आ रही बदबू के बारे में बोलते भी नजर आए.
इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक भी की.
लेकिन इसके बावजूद मंत्री के फोटो शूट की खबरें ज्यादा चर्चा में आईं और इससे विवाद खड़ा हो गया.
यह पहली बार नहीं है जब गुजरात में किसी मंत्री की कार्यशैली को लेकर विवाद हुआ हो.
हाल ही में नए शिक्षा मंत्री डॉ. प्रद्युम्न वाजा भी विवाद में आए थे.
वे ग्रामीण क्षेत्र के किसानों की परेशानियों को देखने गए थे, लेकिन उनके गम बूट पहनने की फोटो वायरल हुई थी, जिसने खूब आलोचना बटोरी. डॉ. वाजा गिर सोमनाथ जिले के कोडिनार से विधायक हैं और 2022 के विधानसभा चुनावों में जीते थे.
उनकी शिक्षा एमबीबीएस और एमडी है और उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं.
कांग्रेस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और भाजपा पर प्राकृतिक आपदाओं के मामले को मीडिया में प्रचारित करने का आरोप लगाया.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता डॉ. मनीष दोशी ने कहा था कि किसानों को मजाक नहीं बल्कि सम्मान और मुआवजा मिलना चाहिए.
वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हाल के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बड़ी जिम्मेदारी कृषि मंत्री जीतू वाघाणी और उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी को दी है.
दोनों नेताओं को सरकार का प्रवक्ता नियुक्त किया गया है ताकि वे सरकार के काम-काज को जनता तक प्रभावी तरीके से पहुंचा सकें.
अभी तक यह जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री ऋषिकेश पटेल संभाल रहे थे.
हर्ष संघवी, जो गृह राज्य मंत्री से सीधे उप मुख्यमंत्री बने, उनका जनता से जुड़ाव अच्छा माना जाता है.
वहीं जीतू वाघाणी बहुत अनुभवी नेता हैं और पहले भी संगठन संभाल चुके हैं.
मुख्यमंत्री का यह कदम सरकार की पारदर्शिता बढ़ाने और कैबिनेट के फैसलों को मीडिया के माध्यम से तेजी से जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है.
नए प्रवक्ताओं के माध्यम से सरकार उम्मीद करती है कि जनता के बीच सरकार के कामों की सही जानकारी पहुंचेगी.
इस पूरी परिस्थिति में साफ दिखता है कि किसानों की समस्याओं को लेकर राजनीतिक दल और नेता के बीच न केवल मतभेद हैं बल्कि सरकार की कार्यशैली और संवेदनशीलता पर सवाल भी उठ रहे हैं.
फोटो शूट को लेकर विवाद ने एक बार फिर यह मुद्दा उठाया है कि प्राकृतिक आपदाओं और किसानों की कठिनाइयों के दौरान नेताओं का रुख कैसा होना चाहिए.
किसानों के सामने आने वाली समस्याओं को हल करना और उन्हें उचित सम्मान देना ही इस संकट का सही समाधान होगा.

