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पीएम मोदी ने आदिवासी महिलाओं के मिलेट बिजनेस को सराहा

तेलंगाना के भद्राचलम क्षेत्र की आठ आदिवासी महिलाओं ने मेहनत और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश करते हुए नया उद्यम खड़ा किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड में इन महिलाओं के प्रयासों की सराहना की.

पहले खेतों में मज़दूरी करने वाली ये महिलाएं अब ‘भद्राद्री मिलेट मैजिक’ नाम से मिलेट (अनाज) से बने बिस्किट तैयार कर रही हैं.

उनके द्वारा बनाए जा रहे ये स्वास्थ्यवर्धक बिस्किट्स न सिर्फ हैदराबाद बल्कि लंदन तक पहुंच भी रहे हैं और लोगों को पसंद भी आ रहे हैं.

इन महिलाओं को यह सफलता आदिवासी एकीकृत विकास एजेंसी (Integrated Tribal Development Agency) के सहयोग से मिली.

प्रशिक्षण के बाद उन्होंने मिलकर एक स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) के तहत अपना व्यवसाय शुरू किया.

बिस्किट बनाने में फॉक्सटेल, कोदो, कुटकी, रागी और ज्वार जैसे पोषक अनाजों का प्रयोग किया जाता है. इन सभी अनाजों को पारंपरिक रूप से आदिवासी क्षेत्रों में उगाया जाता है.

पीएम मोदी ने इन महिलाओं की तारीफ़ करते हुए कहा, “ये महिलाएं कभी खेतों में मजदूरी किया करती थीं. आज वे उद्यमिता के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए न केवल अपना जीवन संवार रही हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन रही हैं. यह महिला-नेतृत्व वाले विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है.”

बिस्किट उत्पादन के अलावा इन महिलाओं ने एक और पहल करते हुए ‘गिरी सेनेटरी पैड्स’ नाम से कम लागत वाली सेनेटरी नैपकिन निर्माण इकाई भी शुरू की है.

इस यूनिट में अब तक करीब 40,000 पैड्स बनाए जा चुके हैं, जिन्हें स्थानीय गुरुकुल विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में सस्ती दरों पर वितरित किया जा रहा है.

इन दोनों पहलों से जहां महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिली है, वहीं स्थानीय समुदाय में स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर जागरूकता भी बढ़ी है.

इस बदलाव के पीछे न केवल सामूहिक प्रयास है बल्कि यह भी दिखाता है कि जब स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग किया जाए और महिलाओं को प्रशिक्षण और सहयोग मिले तो विकास की दिशा बदल सकती है.

आगे चलकर ये महिलाएं अपने उत्पादों की विविधता बढ़ाने और इस पहल से अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ने की योजना बना रही हैं, ताकि स्वरोजगार के अधिक अवसर पैदा हो सकें और यह मॉडल अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बने.

इन महिलाओं की यह प्रेरणादायक कहानी सबसे पहले 15 जून को ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ ने प्रकाशित की थी. अखबार ने अपने लेख में इनके संघर्ष और सफलता को ‘From daily wagers to entrepreneurs: Tribal women of Bhadrachalam lead millet and sanitary revolution’ शीर्षक से प्रस्तुत किया था.

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