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छत्तीसगढ़ में मलेरिया से आदिवासी छात्रों की मौत से राजनीतिक विवाद

छत्तीसगढ़ में पिछले 10 दिनों में मलेरिया और डायरिया से 3 आदिवासी छात्रों और 5 बैगा आदिवासियों की मौत हो चुकी है. इन मौतों के बाद राज्य की स्वास्थ्य सुविधा से शुरु हुए सवाल अब राजनीतिक बहस में बदल चुके हैं.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मानसून के मौसम को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है.

इसके बाद छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने बीजापुर का दौरा किया और मलेरिया के बढते मामलों और मौतों के लिए छत्तीसगढ़ की पूर्व सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया.

जयसवाल ने दावा किया कि भाजपा के कार्यकाल के दौरान 2018 तक प्रदेश में प्रति 1,000 लोगों में से औसत 11 मलेरिया के शिकार होते थे, जो कांग्रेस सरकार के दौरान बढ़ गए और 2023 तक ये आंकड़ा 35 तक पहुंच गया यानि 2023 में राज्य के प्रति 1000 लोगों में से 35 लोग मलेरिया पीडित पाए गए.

इसके बाद जयसवाल ने भाजपा के कार्यकाल में मलेरिया और मानसून के दौरान होने वाली अन्य बीमारियों को रोकने के लिए किए गए प्रयासों का ज़िक्र किया. इसके साथ ही उन्होंने आने वाले 5 सालों में बस्तर को मलेरिया मुक्त बनाने का संकल्प लिया है.

अपने बीजापुर के दौरे पर स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक नया ज़िला अस्पताल खोलने की घोषणा की है. इस अस्पताल में 10 आईसीयू बेड और 2 डायलिसिस मशीनें होंगी.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जवाब में मौजूदा भाजपा सरकार की आलोचना की और बीजापुर जिले में आदिवासी छात्रों की मौतों को राज्य सरकार की विफलता बताया.

कांग्रेस पार्टी ने बीजापुर में हुई मौतों की जांच के लिए 9 महिला नेताओं की एक समिति बनाई है. समिति प्रभावित गांव का मूल्यांकन कर रही है और जांच के बाद जल्द ही रिपोर्ट पेश करेगी.

मलेरिया के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों के नतीजे सामने आए हैं.

मलेरिया को जड़ से उखाड फेंकने के लिए राज्य में जो अभियान चलाया जा रहा है उसके तहत 2020 से 2023 तक नौ चरणों में मलेरिया पॉज़िटिविटी दर 4.60 प्रतिशत से घटकर 0.51 प्रतिशत हो गई है.

इस अभियान का दसवां चरण 5 जुलाई, 2024 को संपन्न हुआ. इस अभियान के तहत, राज्य के 22 जिलों में 16.97 लाख कीड़ों से बचने के लिए मच्छरदानी बांटी गईं.

वार्षिक परजीवी घटना दर (Annual Parasite Incidence Rate) के अनुसार, छत्तीसगढ़ में मलेरिया की दर 2018 में 2.63 प्रतिशत से घटकर 2023 में 0.99 प्रतिशत हो गई. इसी तरह, बस्तर में यह दर 16.49 प्रतिशत से कम होकर 7.78 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

स्वास्थ्य विभाग ने 2024 के पहले के छ महीनों की मलेरिया केस रिपोर्ट जारी कर दी है. इस रिपोर्ट के अनुसार बस्तर में 1,660, बीजापुर में 4,441, दंतेवाड़ा में 1,640, कांकेर में 259, कोंडागांव में 701, नारायणपुर में 1,509 और सुकमा में 1,144 मामले सामने आए हैं.

इस रिपोर्ट के चलते स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों में केस मॉनिटरिंग बढ़ा दी है और इलाज की सुविधाएं मजबूत की हैं.

राज्य सरकार ने लोगों से अपील की है कि मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं और समय रहते इलाज कराएं.

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