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बुनियादी सुविधाओं का अभाव कब तक सहेगा आदिवासी?

विशाखापत्तनम के एजेंसी (आदिवासी) इलाक़े में बुनियादी सुविधाओं की कमी की मिसाल पेश करती एक और घटना सामने आई है.

शुक्रवार को एक गर्भवती महिला को लोसिंगी में उसके घर से तीन किलोमीटर दूर तक ‘डोली’ में वाईबी पट्टनम तक ले जाया गया, जहां से उसे ‘108’ एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया गया.

महिला को प्रसव पीड़ा जब शुरु हुई, तो चूंकि उसके घर तक सड़क नहीं है, तो एम्बुलेंस उसके घर तक नहीं पहुंच सकती थी. इसलिए उसे ‘डोली’ में डालकर उस जगह तक ले जाया गया, जहां तक कच्ची सड़क पहुंचती. यह कच्ची सड़क भी प्रशासन ने नहीं, बल्कि इलाक़े के आदिवासियों ने ही ‘श्रमदान’ करके बनाई थी.

रोलुगुंटा, रविकामदम, गोलुगोंडा, नादवरम, देवरपल्ली, चेडीकड़ा, मदुगुला, कोटौरतला और अनंतगिरी मंडलों के 70 गैर-अनुसूचित गांवों में रहने वाले 12,000 आदिवासी लोगों के पास सड़क सुविधा नहीं है. ऐसे में इन गांवों के लोगों का गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को ‘डोलियों’ में ले जाना आम बात है.

नरसीपट्टनम नगर क्षेत्र के आदिवासी गांव लिंगपुरम, जिसकी आबादी 250 है, में भी सड़क नहीं है, हालांकि यह नगर पालिका क्षेत्र में शामिल है.

दूसरी ओर, राज्य सरकार ने वीएमआरडीए (Vishakhapatnam Metropolitan Region Development Authority) के दायरे में आने वाले गांवों, जिनमें कुछ आदिवासी गांव भी शामिल हैं, के लिए एक आदेश जारी किया है जिसमें इन गांवों तक सड़कों के तत्काल प्रावधान की बात कही गई है.

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