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राजस्थान: कैबिनेट विस्तार के बाद भी आदिवासी विधायक ‘अनदेखा’ क्यों महसूस कर रहे हैं

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भले ही अपने मंत्रिपरिषद में नए सदस्यों को शामिल करके पार्टी के अंदर सभी समुदायों और गुटों को खुश करने की कोशिश की हो, लेकिन उन्हें अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

दरअसल रविवार शाम को नए मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद पार्टी की पसंद के खिलाफ कुछ आदिवासी और अल्पसंख्यक विधायकों से असंतोष की आवाजें आने लगी.

कांग्रेस पार्टी के कम से कम तीन विधायक गहलोत कैबिनेट में शामिल किए गए मंत्रियों की नई सूची से नाखुश हैं. उदयपुर के खेरवा निर्वाचन क्षेत्र से छह बार के कांग्रेस विधायक दयाराम परमार ने गहलोत को एक खुला पत्र लिखकर फेरबदल पर अपनी शिकायतों का उल्लेख किया.

सोशल मीडिया पर प्रसारित इस पत्र में लिखा है, “गहलोत के मंत्रिमंडल में मंत्री बनने का क्या मापदंड है? अगर मुझे पता होता तो मैं भी बन सकता था”. दयाराम गहलोत सरकार की पिछली दो सरकारों में मंत्री रह चुके हैं.

दयाराम परमार ने आउटलुक को बताया, “मुझे नजरअंदाज किया गया क्योंकि मैं आदिवासी हूं. सबसे जूनियर विधायकों को पदोन्नत किया गया है और फिर से शामिल किया गया है लेकिन मुझे छोड़ दिया गया. उदयपुर निर्वाचन क्षेत्र से किसी को भी मंत्री पद नहीं दिया गया है.”

परमार का दावा है कि उन्हें आदिवासी होने के कारण छोड़ दिया गया. अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में कम से कम तीन आदिवासी मंत्री हैं. उदयपुर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के पास सिर्फ दो सीटें हैं जहां से परमार आते हैं.

वैसे दयाराम विरोध के खिलाफ आवाज उठाने वाले अकेले नहीं हैं. आदिवासी समुदाय के एक और विधायक अलवर जिले के जौहरी लाल मीणा ने भी अपना विरोध जताया है. मीणा ने अलवर के एक अन्य विधायक टीकाराम जूली को कैबिनेट में प्रमोशन दिए जाने पर नाराजगी जाहिर की है.

नाराज मीणा ने मीडिया से कहा, “जूली को एमओएस (MoS) से कैबिनेट रैंक तक क्यों पदोन्नत किया गया है? क्या गहलोत नहीं जानते कि वह एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं? कैबिनेट मंत्री बनने के लिए उनकी क्या विश्वसनीयता है.” जूली रविवार को कैबिनेट रैंक में पदोन्नत तीन MoS में से एक है.

कैबिनेट फेरबदल में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में वृद्धि देखी गई है जिसमें एससी और गुर्जर समुदाय के दो कैबिनेट मंत्री और मुस्लिम समुदाय के एक MoS शामिल हैं. फिर भी एक अन्य कांग्रेस विधायक शफिया जुबैर ने कैबिनेट में महिलाओं की कम भागीदारी पर सवाल उठाया.

अलवर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक ने कहा, “हम 33 फीसदी महिला भागीदारी के बारे में बात करते रहते हैं और राजस्थान कैबिनेट में हमारे पास महिला मंत्रियों की सिर्फ 10 फीसदी उपस्थिति है. ऐसा क्यों है?”

पिछली अशोक गहलोत कैबिनेट में राज्य मंत्री के रूप में सिर्फ एक महिला ममता भूपेश थी. अब फेरबदल में ममता को पदोन्नति देकर शकुंतला रावत के साथ कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और जाहिदा ख़ान को राज्य मंत्री बनाया गया है.

विधायकों द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, “यह सभी क्षेत्रों और जातियों के प्रतिनिधित्व वाले मंत्रियों की सर्वश्रेष्ठ टीम में से एक है”.

रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कैबिनेट में और महिलाओं को शामिल करने के फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा कि अधिक महिला मंत्रियों का होना एक अच्छा कदम है. एक तरह से हम प्रियंका गांधी के सरकार में 40 फीसदी महिलाओं के प्रतिनिधित्व के विचार पर खरा उतर रहे हैं.

15 मंत्रियों को मौजूदा पूल में शामिल करने के साथ राजस्थान में अब मुख्यमंत्री गहलोत सहित मंत्रिपरिषद में 30 सदस्य हैं जो कि अधिकतम हो सकता है. इससे पहले मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद में 21 सदस्य थे. राजस्थान मंत्रिमंडल में नौ रिक्तियां थीं, लेकिन उन्हें भरना पार्टी नेतृत्व के लिए एक कठिन कदम था.

15 नए मंत्रियों में से पांच सचिन पायलट के अठारह वफादारों में से थे जो जुलाई 2020 में राज्य को घेरने वाले महीने भर के राजनीतिक संकट के दौरान उनके साथ खड़े थे.

दो गुटों के बीच शांति सुनिश्चित करने के अलावा फेरबदल स्पष्ट रूप से सिर्फ दो साल दूर विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है. गहलोत कैबिनेट सभी समुदायों के सदस्यों को शामिल करने में कामयाब रहे हैं. राजस्थान के नए कैबिनेट में पहली बार चार अनुसूचित जाति (SC) सदस्य होंगे वहीं अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के तीन मंत्री और कैबिनेट में तीन महिलाएं भी होंगी- मुस्लिम, एससी समुदाय से एक और गुर्जर समुदाय से एक.

मंत्रिमंडल विस्तार में 15 मंत्रियों के शपथ लेने के कुछ घंटे बाद रविवार को राजस्थान में तीन निर्दलीय समेत छह विधायकों को मुख्यमंत्री गहलोत का सलाहकार नियुक्त किया गया है.

कांग्रेस के जिन विधायकों को सलाहकार नियुक्त किया गया है उनमें जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा और दानिश अबरार शामिल हैं. मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी सूची के अनुसार निर्दलीय विधायक बाबू लाल नागर, संयम लोढ़ा और रामकेश मीणा को भी गहलोत का सलाहकार नियुक्त किया गया है.

सभी छह विधायक अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं और मंत्री बनने की दौड़ में थे. शपथ समारोह समाप्त होने के बाद गहलोत ने कहा कि संसदीय सचिवों, सलाहकारों और बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी.

200 की विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास बसपा के छह पूर्व विधायकों सहित 108 विधायक हैं जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए. बीजेपी के पास 71, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के तीन, सीपीआई (एम) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के दो-दो और राष्ट्रीय लोक दल एक हैं. इसके अलावा 13 निर्दलीय विधायक हैं. 

(Image Credit: PTI)

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