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रांची यूनिवर्सिटी में आदिवासी भाषाओं की होगी अलग फ़ैकल्टी

रांची यूनिवर्सिटी (आरयू) की अकादमिक परिषद ने आदिवासी भाषाओं के लिए एक अलग फ़ैकल्टी के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है.

अकादमिक परिषद की बैठक में यह फ़ैसला लिया गया. आदिवासी भाषाएं फ़िलहाल मानविकी (Humanities) से जुड़ी हैं. योजना के तहत यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाने वाली नौ आदिवासी भाषाओं में से हर एक के लिए एक अलग विभाग स्थापित करने की अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी.

इसके अलावा यह भी फ़ैसला लिया गया है कि राम लखन सिंह कॉलेज में खोरथा भाषा में ग्रैजुएट प्रोग्राम जल्द ही शुरु हो जाएगा. यूनिवर्सिटी के डोरंडा कॉलेज में पंचपरगनिया भाषा में प्रोग्राम शुरू करने के आदेश को भी मंज़ूरी मिल गई है.

इसके अलावा रांची यूनिवर्सिटी के जेएन कॉलेज में नागपुरी भाषा में पोस्ट ग्रैजुएट प्रोग्राम को भी मंजूरी दी गई है.

इसी तरह सिमडेगा कॉलेज में हिंदी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, खड़िया, नागपुरी और मुंडारी में पीजी कोर्स शुरू करने को भी मंजूरी दे दी गई है.

उम्मीद है कि इस क़दम से आदिवासी भाषाओं में पढ़ाई को बढ़ावा मिलेगा. फ़िलहाल आरयू में पढ़ाई जाने वाली सभी नौ आदिवासी भाषाएं आदिवासी और क्षेत्रीय भाषा विभाग के अधीन हैं.

रांची यूनिवर्सिटी जनजातीय मुद्दों पर कोर्स ऑफ़र करने वाले गिने-चुने संस्थानों में से एक है. यूनिवर्सिटी ने पिछले कुछ सालों में इन कोर्सेस की मांग में वृद्धि देखी है.

जिन नौ आदिवासी भाषाओं में रांची यूनिवर्सिटी कोर्स कराता है, उनमें नागपुरी, मुंडारी, कुरुख, कुरमाली, संथाली, खोरथा, पंचपरगनिया, हो शामिल हैं. इन भाषाओं में ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट दोनों कोर्स हैं.

कोर्स पूरा करने के बाद ज़्यादातर छात्रों को पुरातत्व केंद्रों में नौकरी मिल जाती है, या वो अनुवादक के रूप में काम करते हैं.  

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