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छत्तीसगढ़: 6 साल की आदिवासी छात्रा से रेप मामले में आश्रम स्कूल कर्मचारी का पति, छात्रावास अधीक्षक गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की सुकमा (Sukma) जिले के एर्राबोर में कन्या आवासीय विद्यायल में 6 वर्षीय आदिवासी छात्रा से रेप का मामला सामने आया था. इस वारदात के पांच दिन बाद अब पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.

बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाला कोई और नहीं बल्कि कन्या आवासीय विद्यायल में चपरासी के पद पर तैनात महिला का पति है.

इसके अलावा पुलिस ने अपराध की रिपोर्ट करने में विफल रहने के लिए छात्रावास अधीक्षक को भी गिरफ्तार किया है.

एक अधिकारी ने कहा, “35 साल का बेरोजगार आरोपी अपनी चपरासी पत्नी के साथ एक साल तक आश्रम में रहा. इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी क्योंकि लड़कियों के छात्रावास में पुरुष नहीं रह सकते. पहले तो हमें लगा कि ये किसी बाहर वाले का काम है लेकिन फिर हमें अहसास हुआ कि आश्रम के बारे में पहले से जानकारी रखने वाला कोई व्यक्ति अपराध कर सकता है.”

कथित बलात्कार 22 जुलाई को हुआ था लेकिन पुलिस को इसकी सूचना 24 जुलाई को दी गई और अपराध की रिपोर्ट करने में देरी के लिए छात्रावास अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया.

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत बलात्कार का मामला दर्ज किया है.

सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक किरण जी चव्हाण ने कहा, “हमने आठ सदस्यीय टीम बनाई और लगभग 50 लोगों से पूछताछ की. हमने तकनीकी साक्ष्य की भी जांच की. हमने कुछ सबूतों के आधार पर आरोपी पर ध्यान केंद्रित किया. हमने पोक्सो अधिनियम की धारा 21 (मामले की रिपोर्ट करने या दर्ज करने में विफलता) के तहत अपराध की रिपोर्ट करने में विफल रहने के लिए छात्रावास अधीक्षक को भी गिरफ्तार किया है.”

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस ने बच्ची से बलात्कार के आरोप में आवासीय विद्यालय की चपरासी के पति माडवी हिडमा उर्फ राजू को गिरफ्तार कर लिया है.

पुलिस को जब मामले की जानकारी मिली तब सोमवार (24 जुलाई) को भारतीय दंड संहिता और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

एसपी चव्हाण ने कहा कि जांच में यह भी पता चला कि हॉस्टल अधीक्षिका हीना ने कथित तौर पर उचित समय पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों और पुलिस को मामले की सूचना नहीं दी इसलिए उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है.

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उन्होंने और महिला पुलिस अधिकारियों ने आवासीय विद्यालय की अन्य लड़कियों से बात की है और पूछा कि क्या उन्हें भी ऐसी ही किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, अब तक ऐसी कोई शिकायत सामने नहीं आई है.

पुलिस के मुताबिक कथित घटना 22 जुलाई की रात को हुई थी, जब छात्रा एर्राबोर पुलिस थाना क्षेत्र में स्थित एक पोटा केबिन स्कूल के छात्रावास में सो रही थी.

एसपी च्वहान ने बताया कि पीड़िता की उम्र लगभग सात साल है और वह कक्षा एक की छात्रा है. चव्हाण के मुताबिक, छात्रा ने रविवार को अपने माता-पिता को घटना के बारे में बताया कि  जिसके बाद उन्होंने पोटा केबिन छात्रावास के अधीक्षक को इसकी जानकारी दी.

एसपी के मुताबिक, घटना की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (कोंटा) गौरव मंडल की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें बाल अपराध अन्वेषण शाखा की उप पुलिस अधीक्षक पारुल खंडेलवाल भी शामिल हैं.

सुकमा और पड़ोसी बीजापुर जिला माओवादियों का गढ़ है. परिवहन सुविधाओं की कमी के चलते वामपंथी-उग्रवाद प्रभावित जिलों में लड़कियां ऐसे आश्रम स्कूलों में रहकर पढ़ती हैं. माओवादी विरोधी गतिविधियों के अलावा यहां की पुलिस महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम करती है और ऐसे गर्ल्स हॉस्टल के बाहर नियमित गश्त करती है.

इस तरह की वारदातों से बच्चों के माँ-बाप अपने बच्चों को सरकारी हॉस्टल स्कूलों में भेजने में कतराते हैं. इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि इस मामलें को ध्यान में रखते हुए आदिवासी इलाक़ों के आश्रम स्कूलों में सुरक्षा का जायज़ा लिया जाए.

अक्सर यह देखा जाता है कि आदिवासी इलाक़ों के हॉस्टल युक्त स्कूलों में अनिवार्य नियमों को लागू करने के प्रति प्रशासन उदासीन रहता है.

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