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तमिलनाडु: वेल्लोर की सुदूर आदिवासी बस्तियों को जल्द ही मिलेगी पक्की सड़क

तमिलनाडु के वेल्लोर शहर के पास पीचमनथाई पहाड़ी के ऊपर सुदूर आदिवासी बस्तियों को बहुत ही जल्द पक्की सड़क मिलने वाली है. नेक्कनी और कोल्लायम आदिवासी बस्तियों के बीच एक पक्की सड़क बनाने का काम शुरु भी हो चुका है.

पहाड़ी के बीच में 5.75 किलोमीटर की दूरी है. सड़क बनाने का काम ज़िला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA- District Rural Development Agency) के द्वारा किया जा रहा है.

डीआरडीए के आधिकारियों ने बताया कि जिस जगह पर पक्की सड़क बन रही है उसका निर्माण 1900 के दशक में घने वन क्षेत्रों में निगरानी के लिए अंग्रेजों के द्वारा एक मार्ग के रुप में किया गया था.

तब से आदिवासी उसी मार्ग का प्रयोग कर रहे है जिसकी न तो मरम्मत हुई है और न ही उसे पक्की सड़क बनाया गया.

वेल्लोर के डीआरडीए के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (EE- Executive Engineer) एम. सेंथिलकुमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि आदिवासियों ने सड़क निर्माण के लिए अपनी पट्टा भूमि में से 2.47 एकड़ जमीन दान कर दी है जिससे दूरदराज के गांवों को पहाड़ी के निकटतम बड़े गांव से जोड़ा जाएगा.

इसके अलावा जवाधु पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित नेक्कनी और कोल्लायम बस्तियां पहाड़ी में पलमबट्टू ग्राम पंचायत का एक हिस्सा है. इन बस्तियों में लगभग 400 लोग रहते है.

इन बस्तियों में मक्का, मूंगफली, केला, गन्ना और बाजरा की खेती की जाती है.

बस्ती में रहने वाले एस कयाल ने कहा कि वह सभी कई साल से बीमार और गर्भवती महिलाओं को कपड़े से बनी एक डोली के जरिए एनाइकट (Anaicut) के सरकारी अस्पताल में ले जाते रहे हैं. जो गांवों से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, ये निकटतम चिकित्सा सुविधा है.

उनका कहना है कि पक्की सड़क बनने से बस्ती वालों के लिए जीवन आसान होगा.

रोज तलहटी से लगभग 18 किलोमीटर दूर पीचमनथाई गांव तक दो बस सेवाएं संचालित की जाती हैं, जहां तक सड़क बनाई जा रही है.

इसके अलावा पीचामनथाई गांव से यहां रहने वाले लोगों को इन दो गांवों यानी नेक्कनी और कोल्लायम तक पहुंचने के लिए पहाड़ी के ऊपर चट्टानी रास्ते पर 5 किलोमीटर चलना पड़ता है.

हालांकि अब आदिवासी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र, सरकारी हाई स्कूल, उचित मूल्य की दुकानों, बैंक, एटीएम और सरकारी कार्यालयों जैसी सुविधाओं के साथ ही आवश्यक चीजों के लिए वेल्लोर शहर तक पहुंचने के लिए अनाईकट में अमिरथी मुख्य सड़क के माध्यम से 30 किलोमीटर का रास्ता तय करते हैं.

डीआरडीए के अधिकारियों ने बताया कि योजना के अनुसार वन विभाग ने 11.50 करोड़ रुपये की लागत से 20 फीट चौड़ी पक्की सड़क बनाने की अनुमति दी है. जिसमें 10 फीट चौड़ा कैरिजवे भी शामिल है.

इस से पहली बार आदिवासी बस्तियों में नियमित बस सेवा चलाने में मदद मिलेगी.

क्योंकि मार्ग का बड़ा हिस्सा नागनाथी नदी के पार स्थित है इसलिए मानसून के दौरान बाढ़ के कारण खंड की क्षति को रोकने के लिए तीन पुलिया और सीमेंट कंक्रीट हार्ड बेड के साथ ही 17 क्रॉस ड्रेनेज कार्य (Cross drainage works) बनाए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा तीव्र ढलान के कारण मार्ग पर दो स्थानों पर दीवारें 15 फीट की ऊंचाई पर बनाई जाने के साथ रास्ते को मोटर चालकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के हिसाब से भी बनाया जाएगा.

इसके अलावा डीआरडीए अधिकारियों ने बताया कि पक्की सड़क बनाने का काम कुछ ही महीनों में पूरा हो जाएगा.

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