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राजस्थान: प्रवासी मजदूरों के घर लौटने से आदिवासी जिलों में कोविड का खतरा बढ़ा

महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना से प्रवासी मजदूरों की वापसी से राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर और प्रतापगढ़ के आदिवासी जिलों में कोविड के फैलने की संभावना बढ़ गई है.

प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की व्यवस्था, और हवाई मार्ग से आने वालों को छोड़कर बाकी लोगों की आरटी-पीसीआर टेस्ट को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने के चलते स्थानीय प्रशासन के लिए संक्रमण को रोकना मुश्किल हो रहा है.

स्थानीय प्रशासन ने इन जिलों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अपनी मशीनरी को सक्रिय कर दिया है.

डूंगरपुर में शुक्रवार को सामने आए 24 पॉजिटिव मामलों में से 17 गुजरात से लौटे थे.

डूंगरपुर के एसपी सुधीर जोशी के मुताबिक सीमा पर चौकियों पर यात्रियों की जांच शुरू कर दी गई है. लक्षण दिखाने वालों का टेस्ट किया जा रहा है और उसी के अनुसार इलाज किया जा रहा है.

हालांकि, उन जगहों पर प्रवासियों का ट्रैक नहीं रखा जा रहा, जहां वो लोग आखिरकार जा रहे हैं. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कोविड के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी उपाय किए जाने चाहिए.

बांसवाड़ा के डीएम अंकित कुमार सिंह ने स्थानीय प्रशासन को कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान किए गए उपायों को अपनाने के निर्देश दिए हैं.

बांसवाड़ा कोविड वॉर रूम प्रभारी भवानी सिंह पलावत ने माना कि, “प्रवासियों ने अभी पूरे देश से आना शुरू किया है. हमने राज्य के बाहर से लौटने वालों के पंजीकरण और होम क्वारंटाइन के लिए ग्राम स्तर की समिति को सक्रिय कर दिया है. यहां तक ​​कि स्कूलों को भी संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर के रूप में काम करने के लिए कहा गया है.”

प्रतापगढ़ जिला जोरदार टेस्टिंग पर निर्भर है क्योंकि वे जिले में आने वाले प्रवासियों की आवाजाही की जांच नहीं कर सकते हैं.

प्रतापगढ़ के सीएमएचओ वी डी मीणा ने कहा कि उन्होंने परीक्षण 300-400 से बढ़ाकर 1,500-1,800 कर दिया है. “प्रवासियों में लॉकडाउन का डर बहुत ज्यादा है, यही वजह है कि वे बड़ी संख्या में वापस आने लगे हैं. हमारे पास एक ही विकल्प है कि लोगों को टेस्ट के लिए आने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, भले ही उनमें बीमारी के ज्यादा लक्षण न हों,” उन्होंने कहा.

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