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केरल: इडुक्की की इस आदिवासी बस्ती की पहली डॉक्टर बनी सरन्या

केरल (Tribes of Kerala) के इडुक्की वन्यजीव अभयारण्य (Idukki Wildlife Sanctuary) के अंदर स्थित कन्नमपडी (Kannampadi ) आदिवासी बस्ती की रहने वाली सरन्या (Sarnaya) अपने गाँव की पहली डॉक्टर बनी है.

सरन्या पलक्कड़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज में 2019-2024 के बैच में डॉक्टरी की पढ़ाई की है.जब नतीजे घोषित हुए थे तब सरन्या घर पर ही थी. लेकिन नेटवर्क कनेक्टिविटी में दिक्क्त के कारण लॉग-इन नहीं कर पा रही थी.

इसलिए उन्हें अपने बैच के व्हाट्सएप ग्रुप से यह जानकारी मिली की वे अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण हुई है.

सरन्या के माता-पिता पेशे से किसान हैं. उन्होंने अपनी कमाई का प्रत्येक हिस्सा सरन्या की पढ़ाई पर खर्च किया. उनके माता-पिता ने बताया कि वे बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी.

सरन्या का घर पहले घने जंगलों के बीचो-बीच स्थित था. लेकिन सरन्या को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाने के लिए उनके माता-पिता ने कट्टपना के पास स्थित स्वराज में जाकर बसने का फैसला किया.

फिर उन्होंने सरन्या के बेहतर भविष्य के लिए उसका दाखिला स्वराज के सिय्योन इंग्लिश मीडियम स्कूल में करवाया.

वे सरन्या के स्कूल से 25 किलोमीटर दूर कन्नमपडी में खेती करने जाते थे और सरन्या के स्कूल वापस आने से पहले घर लौट आते थे. सरन्या के इस कठिन सफर में उनके माता-पिता ने भी काफी मेहनत की है.

सरन्या ने 10वीं के बाद नवोदय विद्यालय से अपनी स्कूलिंग पूरी की. सरन्या एसएसएलसी परीक्षा यानी 10वीं की परीक्षा में 96 प्रतिशत से उत्तीर्ण हुई थी और 12वीं में 90 प्रतिशत के साथ सफलतापूर्वक पास हुई है.

इसके अलावा 2019 में हुए मेडिकल एंट्रेंस में भी सरन्या ने एसटी कोटा में 23वी रैंक प्राप्त की थी.

सरन्या का घर और खेत जंगल के बॉडर पर स्थित है. वह आज एक अच्छे मुकाम पर पहुंच गई हैं लेकिन अपने गाँव के ब्च्चों के भविष्य के लिए चिंतित है.

उन्होंने कहा कि गांव में रहने वाले काफी बच्चों को पूरी शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती है. उनके साथ पढ़ने वाले सहपाठी भी छोटी-मोटी नौकरी करके अपना जीवनयापन कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि वे आज इस मुकाम तक अपने माता-पिता के परिश्रम की वजह से पहुंची है. सरन्या अब आगे जनरल मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहती है.

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