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क्यों इस आदिवासी महिला मंत्री को बनाया जा रहा है निशाना?

तेलंगाना सरकार की मंत्री डॉ. दानसारी अनसूया सीतक्का ने एक बार फ़िर साफ किया है कि उनका जीवन और राजनीति, दोनों ही आदिवासी समाज की सेवा के लिए समर्पित हैं.

पंचायत राज, ग्रामीण विकास और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने शुक्रवार को मुलुगु ज़िले के एतुरू नागारम दौरे के दौरान मीडिया से बात करते हुए अपने ऊपर लगाए जा रहे तमाम आरोपों का जवाब दिया.

झूठे प्रचार से नहीं डिगेगा संकल्प

सीतक्का ने कुछ हालिया घटनाओं और चल रही राजनीतिक बयानबाज़ी को लेकर दुख ज़ाहिर किया.

उनका कहना है कि विरोधी दलों द्वारा उनकी छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की जा रही है. खासकर एक महिला मंत्री होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, “ऐसी भाषा और आरोप, जिनका न कोई आधार है और न कोई प्रमाण, उन्हें जानबूझकर फैलाया जा रहा है ताकि मेरी साख पर सवाल खड़े किए जा सकें.”

कथित माओवादी पत्र का विवाद

हाल ही में एक पत्र की चर्चा मीडिया और राजनीतिक हलकों में हुई, जिसमें दावा किया गया कि आदिवासी गांवों को उजाड़ने के प्रयासों और वन क्षेत्रीय विकास की नीतियों के विरोध में कुछ संगठनों ने राज्य सरकार की आलोचना की है.

इस कथित पत्र में सरकारी आदेश संख्या 49 का ज़िक्र करते हुए 339 गांवों से लोगों को हटाने की आशंका जताई गई थी.

साथ ही मंत्री सीतक्का पर सवाल उठाए गए कि वे आदिवासी हितों से जुड़े पुराने कानूनों जैसे पेसा अधिनियम, 1/70 कानून और वन अधिकार अधिनियम की रक्षा क्यों नहीं कर रहीं.

सीतक्का ने इस पर जवाब देते हुए कहा, “मैं आदिवासी कल्याण मंत्री नहीं हूं, फिर भी मैंने खुद पहल की और सभी दलों के अनुसूचित जनजाति विधायकों के साथ बैठक कर यह तय कराया कि यह आदेश आदिवासी हितों के खिलाफ है और इसे वापस लिया जाए.”

वन विभाग और पुलिस की कार्रवाइयों पर चिंता

मुलुगु और भद्राद्री कोठागुडेम में हाल के दिनों में वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाइयों से आदिवासी परिवारों में डर का माहौल बना.

इस पर मंत्री ने बताया कि राज्य की वन मंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि वे सुनिश्चित कर रही हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.

जाति और लिंग के कारण हो रही राजनीति

सीतक्का ने कहा कि एक आदिवासी महिला होने के कारण उन्हें बार-बार निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने सीधे तौर पर विरोधी दलों पर आरोप लगाए कि वे उनके सामाजिक और राजनीतिक कद को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे.

उन्होंने कहा, “जब 75 वर्षों में पहली बार कोई कोया महिला पंचायत राज जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी निभा रही है, तो कुछ लोग इसे सहन नहीं कर पा रहे.”

ज़मीनी जुड़ाव और सेवा की भावना

सीतक्का ने बताया कि वे हर हफ्ते दो-तीन दिन आदिवासी क्षेत्रों में जाती हैं, लोगों से मिलती हैं और विकास कार्यों की निगरानी करती हैं.

उनका कहना है कि वे हमेशा अपने लोगों के साथ रही हैं. न चुनावों में हारी हैं, न भागी हैं और न झुकी हूं.

उन्होंने दोहराया कि उनका संघर्ष सिर्फ सत्ता के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए है.

सीतक्का ने भारत के संविधान और नेताओं जैसे पंडित नेहरू और डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि वे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा समर्पित रहेंगी.

मंत्री सीतक्का ने स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी साजिश या राजनीतिक हमले से घबराने वाली नहीं हैं. उनके लिए आदिवासी समाज की भलाई एक राजनीतिक दायित्व नहीं बल्कि व्यक्तिगत मिशन है, जिससे वे पीछे नहीं हटेंगी.

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