Mainbhibharat

त्रिपुरा: टीटीएएडीसी चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका, ‘TIPRA मोठा’ गठबंधन ने जीतीं अधिकांश सीटें

भाजपा शासित त्रिपुरा में पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है. आदिवासी गठबंधन ‘TIPRA Motha’ ने त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC) का चुनाव जीत लिया है.

TTAADC के चुनावों में बीजेपी इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ गठबंधन में थी. इस गठबंधन ने 25 साल बाद सीपीआई-एम के नेतृत्व वाली सरकार को हराकर 2018 में त्रिपुरा में सत्ता हासिल की थी.

28 सदस्यीय टीटीएएडीसी के चुनाव 6 अप्रैल को हुए थे. रुझानों और परिणामों के अनुसार ‘TIPRA Motha’ के पास 19 सीटें हैं, जबकि छह भाजपा और दो सीटें आईपीएफटी के पास हैं. शेष एक सीट पर एक स्थानीय पार्टी को जीत हासिल हो रही है.

विभिन्न स्थानीय आदिवासी दलों और दूसरे छोटे दलों के सदस्यों के साथ गठबंधन कर त्रिपुरा राजघराने के प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन की अध्यक्षता में ‘TIPRA Motha’ का गठन कुछ महीने पहले ही हुआ था. इस गठबंधन ने सभी 28 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जबकि BJP-IPFT गठबंधन ने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए.

त्रिपुरा की सबसे पुरानी आदिवासी पार्टी इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ़ त्रिपुरा (INPT), जो इससे पहले कांग्रेस के साथ थी, वह भी ‘TIPRA Motha’ का हिस्सा है.

त्रिपुरा का 10,491 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और 12 लाख से ज़्यादा लोग टीटीएएडीसी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इस इलाक़े की 90 प्रतिशत से ज़्यादा जनता आदिवासी है.

आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए जून 1985 में संविधान की छठी अनुसूची के तहत टीटीएएडीसी का गठन हुआ था. इसके चुनाव में 8,65,041 मतदाताओं में से 85 प्रतिशत ने मंगलवार को अपने वोट डाले.

टीटीएएडीसी का त्रिपुरा की राजनीति में काफ़ी महत्व है. इसे मिनी विधानसभा कहा जाता है, और इसका पांच साल का कार्यकाल 17 मई, 2020 को खत्म हो गया था. कोविड महामारी के चलते चुनाव को टाला गया, और राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया.

चुनाव से पहले ‘TIPRA Motha’ ने ग्रेटर टिप्रालैंड की मांग भी तेज़ कर दी थी. ग्रेटर टिप्रालैंड त्रिपुरा, असम के काचर और हैलाकांडी, और मिज़ोरम के ममित में रहले वाले त्रिपुरियों के लिए एक अलग राज्य है. त्रिपुरी समुदाय 19 कुलों से बना है, जिनमें से अधिकांश TTAADC क्षेत्र में रहते हैं.

यह परिणाम माकपा के लिए भी बड़ा झटका है क्योंकि पार्टी पिछले साल 17 मई तक TTAADC पर शासन कर रही थी. ग्रेटर टिप्रालैंड की मांग का बीजेपी, माकपा और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने ज़ोरदार विरोध किया था.

Exit mobile version