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तेलंगाना के कई आदिवासी गांवों में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय की लेटेस्ट स्टडी ने तेलंगाना के नौ ज़िलों के प्रदर्शन को उनके आदिवासी गांवों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं के आधार पर रैंक किया है. स्टीड में पाया गया है कि उनमें से लगभग 21-40 प्रतिशत के पास किसी न किसी बुनियादी सुविधा का अभाव है, जो गांव के सतत विकास के लिए ज़रूरी है.

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट डेटा इनसाइट्स में छपी इस स्टीड (Identifying infrastructural gap areas for smart and sustainable tribal village development: A data science approach from India) में राज्य के नौ पूर्व ज़िलों के लगभग 1,663 गांवों का विश्लेषण किया गया.

उनमें मौजूद बुनियादी सुविधाओं में एटीएम और बैंक से लेकर प्राइमरी स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों तक का विश्लेषण किया गया. इसके लिए डेटा मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण से लिया गया था.

कोलम आदिवासी बच्चे पानी ले जाते हुए

इस स्टडी ने आदिवासी गांवों को ख़ासतौर पर सात आयामों में रैंक किया है. इसमें पाया गया है कि राज्य के सभी नौ ज़िलों में खराब बुनियादी सुविधाओं वाले 21-40 प्रतिशत गांव हैं. विकास की नज़र से इन गांवों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. आदिवासी इलाक़ों में स्वास्थ्य से जुड़े बुनियादी ढांचे को सबसे ज़्यादा अहमियत दी गई है, और इसके बाद शिक्षा को.

इन्फ्रा में महबूबनगर का प्रदर्शन अच्छा

स्टडी में यह भी पता चला है कि सरकार द्वारा सूचना और सामाजिक बुनियादी ढांचे को सबसे कम वेटेज दिया जाता है. स्टडी किए गए ज़िलों में, महबूबनगर के आदिवासी गांवों को सबसे ज़्यादा सुविधाएं हैं, तो वो पहले स्थान पर है. इसके बाद वारंगल और नलगोंडा ज़िले हैं.

महबूबनगर ने वित्तीय, ग्रामीण सामग्री, घरेलू सामग्री, सूचना, सामाजिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे जैसे सभी आयामों में अच्छा प्रदर्शन किया.

आदिलाबाद ज़िले को आखिरी स्थान पर रखा गया है. ज़िले के ज़्यादातर गांवों को बुनियादी ढांचे के मामले में ‘fair’ रैंकिंग दी गई. लेकिन यह बात ध्यान रखने लायक है कि ज़िले में सबसे ज़्यादा आदिवासी गांवों की संख्या (609) हैं, जो काम को मुश्किल बनाता है.

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