भारत के लद्दाख क्षेत्र में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बीच शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
ये गिरफ्तारी बुधवार और उससे पहले के हिंसक घटनाओं के बाद की गई, जिनमें चार लोगों की मौत हुई थी..
लद्दाख की राजधानी लेह में प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया.
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को विशेष दर्जा दें और स्थानीय लोगों को नौकरी आरक्षण प्रदान करें.
ये हिंसा उस स्थल से शुरू हुई जहाँ वांगचुक 14 दिनों से भूख हड़ताल पर थे.
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों एवं सरकारी इमारतों को आग लगाई.
जवाब में पुलिस ने गोली चलाई, उसने दावा किया कि यह “स्वरक्षात्मक कार्रवाई” थी.
गिरफ्तारी के समय वांगचुक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने गिरफ्तारी को उसी समय अंजाम दिया ताकि वह उस सम्मेलन को न कर सकें.
भारत के गृह मंत्रालय ने पहले ही आरोप लगाया था कि वांगचुक ने “उत्तेजक बयानों” के ज़रिए लोगों को उकसाया है.
साथ ही, उनका गैर सरकारी संगठन “Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh” (लद्दाख छात्र शैक्षिक एवं सांस्कृतिक आंदोलन) की लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है.
गृह मंत्रालय का कहना है कि संगठन ने नियमों का उल्लंघन किया है.
वांगचुक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि हिंसक प्रदर्शन उनके बयानों का परिणाम नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के प्रति स्थानीय लोगों की निराशा का प्रदर्शन था.
इसके अलावा, लद्दाख में कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है और लेह में मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ भी निलंबित कर दी गई हैं, जिससे कि स्थिति नियंत्रण में रहे.
लद्दाख को 2019 में जम्मू एवं कश्मीर से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था. उस समय यहां की क्षेत्रीय स्वायत्तता को समाप्त किया गया था.
प्रदर्शन करने वाले स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि उन्हें “विशेष दर्जा” मिले, जिससे जनजातीय क्षेत्रों की रक्षा हो सके और स्थानीय निकायों को अधिकार मिल सके.
केंद्र सरकार और लद्दाख की स्थानीय नेतृत्व इस मुद्दे पर 2023 से वार्ताएँ कर रहे हैं और उनकी अगली बैठक 6 अक्टूबर को प्रस्तावित है.
यह घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छोटे केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक अधिकार, क्षेत्रीय पहचान और जनजातीय हितों की लड़ाई का प्रतीक बन गया है.
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद देश भर में इस घटना को लेकर बहस जारी है.
समर्थकों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर मोमबत्ती जलाई और प्रदर्शन किया कि उन्हें रिहा किया जाए.
यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में सरकार और स्थानीय नेतृत्व क्या सहमति पर पहुँचते हैं और लद्दाख की मांगों का समाधान कैसे निकलेगा.
सोनम की गिरफ़्तारी
वहीं सोनम बीते साल से अलग-अलग मौकों पर लद्दाख को संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आमरण अनशन और दिल्ली तक मार्च कर चुके हैं.
बीते साल मार्च में उन्होंने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे छठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए 21 दिनों तक भूख हड़ताल की थी.
वहीं अक्तूबर 2024 में ही इसी मांग को लेकर उन्होंने लद्दाख से दिल्ली तक पैदल मार्च निकाला था. हालांकि दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से उन्हें हिरासत में ले लिया था.
अब हाल ही में 35 दिन की उनकी भूख हड़ताल के 15वें दिन उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.