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तापी के तारे: आदिवासी बच्चों की इसरो तक पहली उड़ान

गुजरात के तापी जिले के 28 आदिवासी बच्चों के लिए यह दिन बहुत खास रहा.

उन्होंने पहली बार हवाई जहाज में सफर किया और भारत के सबसे बड़े अंतरिक्ष संगठन इसरो (ISRO) की यात्रा के लिए निकले.

यह सब संभव हो सका ‘विज्ञान सेतु – तापी के तारे’ नाम के प्रोजेक्ट के तहत.

इस योजना का मकसद है आदिवासी बच्चों को विज्ञान और तकनीक के प्रति जागरूक करना, ताकि वो भी आगे चलकर वैज्ञानिक सोच अपना सकें और देश की प्रगति में भागीदार बन सकें.

इन बच्चों का चयन तापी जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विज्ञान संकाय के छात्रों में से किया गया.

बच्चों को इस योजना में शामिल करने के लिए एक परीक्षा ली गई थी.

यह परीक्षा 9वीं और 10वीं की विज्ञान की किताबों पर आधारित थी और इसमें 50 सवाल पूछे गए थे.

जो छात्र इसमें सबसे बेहतर प्रदर्शन कर पाए, उन्हें इसरो भ्रमण के लिए चुना गया.

यह बच्चे अलग-अलग गांवों से आते हैं, और अधिकतर ने इससे पहले कभी ट्रेन या हवाई जहाज में भी सफर नहीं किया था.

10 अगस्त को ये सभी बच्चे सूरत हवाई अड्डे से चेन्नई के लिए रवाना हुए.

चेन्नई पहुंचने के बाद, वे श्रीहरिकोटा में स्थित इसरो के सैटेलाइट लॉन्चिंग सेंटर में गए.

इसरो में ये छात्र तीन दिन तक रहेंगे. वहां वे रॉकेट लॉन्चिंग, सैटेलाइट कैसे बनते हैं, और वैज्ञानिक कैसे काम करते हैं – यह सब कुछ नज़दीक से देखेंगे और सीखेंगे.

इससे उन्हें विज्ञान की पढ़ाई में और दिलचस्पी होगी और भविष्य में वो इस दिशा में करियर बनाने के लिए प्रेरित होंगे.

इस यात्रा को और खास बनाने के लिए गुजरात सरकार ने पूरी तैयारी की.

पर्यावरण और वन राज्य मंत्री मुकेश पटेल खुद बच्चों को विदा करने हवाई अड्डे पहुंचे.

उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित किया और कहा कि यह यात्रा उनके जीवन को एक नई दिशा दे सकती है.

उन्होंने बच्चों को यह भी कहा कि वे इस यात्रा के अनुभव प्रधानमंत्री को पत्र के रूप में लिखें और एक यादगार पुस्तिका तैयार करें, ताकि वे इन पलों को हमेशा याद रख सकें.

इस यात्रा में बच्चों के साथ उनके स्कूलों के शिक्षक, जिला प्रशासन के अधिकारी और एक स्वास्थ्यकर्मी भी गए हैं, ताकि बच्चों की देखभाल अच्छे से हो सके.

यह प्रोजेक्ट आदिवासी समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहली बार उन्हें ऐसी बड़ी वैज्ञानिक संस्था को देखने और समझने का मौका मिला है.

इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और उन्हें बड़े सपने देखने की प्रेरणा मिलेगी.

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