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तमिलनाडु: आदिवासी छात्रों को स्कूलों तक पहुंचने के लिए मिलेगी मुफ्त नाव सेवा

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के पेचिपराई बांध से हटकर जंगलो के अंदर रहने वाले आदिवासी छात्रों को अपने स्कूल और शिक्षा संस्थानों तक पहुंचने के लिए नाव का खर्च अब जिला प्रशासन उठाएंगे.

बीते दिन शुक्रवार को मुफ्त नाव सेवा उद्घाटन करते हुए कलेक्टर पी.एन. श्रीधर “थैचमलाई, थोटामलाई, कलप्पाराई और मारामलाई 25 आदिवासी छात्रों को लाभ पहुचाने के लिए मुफ्त नाव सेवा शुरु की गई.  इसके साथ ही 25 आदिवासी छात्रों को लाइफ सेफ जेकेट भी दिए गए हैं. ताकि वह पेचिपराई बांध को सुरक्षित पार कर सकें.  वहीं जिला ग्रामीण विकास एजेंसी ने आदिवासी छात्रों के लिए  नाव खरीदने का अनुमान तैयार करने के लिए कहा गया है”.

इस साल मई में जब कलेक्टर श्रीधर ने कानी आदिवासी छात्रों से उनकी समस्याओं को समझने के लिए अपने ऑफिस में मुलाकात की थी तो उनमें से ज्यादातर ने उन्हें बताया कि रोजाना स्कूल जाने की यात्रा जोखिम भरी और चुनौतीपूर्ण है.

दरअसल, एसएसएलसी, प्लस वन और प्लस टू सार्वजनिक परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए थे. ऐसे में कानी आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा के बारे में उनकी अकांक्षाओं को समझने के लिए कलेक्टर ऑफिस में बातचीत के लिए बुलाया गया था.

कलेक्टर से कानी छात्रों ने थाचमलाई, थोटामलाई, कलप्पाराई और मारामलाई के छात्रों की सेवा के लिए उनके क्षेत्र में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित करने की भी अपील की है. 

अपने क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा के बाद आदिवासी छात्रों को पेचिपराई के आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जाना पड़ता है. इसके लिए छात्रों को बांध पार करना होता है और उन्हें प्रति व्यक्ति नाव का किराया 40 रुपए देना पड़ता है. 

अबतक एक गैर सरकारी संगठन छात्रों के किराया का खर्च उठाता था. लेकिन संगठन ने वित्तीय संकट के कारण किराया देना बंद कर दिया. ऐसे में छात्रों को यह खर्च खुद उठाना पड़ता था. जो की उनके माता पिता के लिए बोझ है क्योंकि वो अपनी फसलों को बेचकर पूरे दिन में 100 रुपए से भी कम कमाते हैं

उन्होंने अपील की थी हमारे क्षेत्र में एक उच्च माध्यमिक विधयालय को स्थापित करने को लेकर कदम उठाना चाहिए या नाव सेवा शुल्क भुगतान करना चाहिए. ताकि छात्र बिना कोई पैसे खर्च किए आसानी से अपने शिक्षा संस्थानों तक पहुंच सकें.

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