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तमिलनाडु:आदिवासी स्कूल में भरा बारिश का पानी, कई वर्षो नहीं हुई मरम्मत

तमिलनाडु के तिरूचि ज़िले के नचिलिपट्टी गांव में आदिवासी स्कूल की हालात बेहद खस्ता होती जा रही है.

यह स्कूल बिल्डिंग 62 साल पहले स्थापित की गई थी. इसमें 1 से 5 तक की कक्षाएं है. जिनमें लगभग 20 बच्चें और दो शिक्षक है.

बारिश के समय में कक्षा में बैठना बेहद कठिन हो जाता है. क्योंकि यह पानी कक्षाओं के भीतर घुस जाता है. जिसकी वज़ह से काफी दिक्कतें भी होती है.

इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यह स्कूल क्षेत्र के सबसे पुराने स्कूलों मे से एक है. इसका उद्घाटन तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री के कामराज के प्रशासन के समय किया गया था. तब से इसमें कोई भी सुधार नहीं हुआ है.

स्कूल के चारदीवारियों की भी काफी समय से मरम्मत नहीं की गई है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आदिवासियों ने ज़िला प्रशासन से सुधार की अपील की है. लेकिन इससे उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ.

वहीं उन्होनें स्कूल के बगल में स्थित आंगनवाड़ी के मरम्मत के लिए भी आग्रह किया था.

इसके साथ ही स्कूल के अधिकारी ने बताया की उन्होंने स्कूल की इमारत की हालात देखते हुए नई इमारत के लिए आवदेन किया था. साथ ही यह आग्रह भी किया था की स्कूल में अधिक से अधिक शिक्षकों की भर्ती की जाए.

इसके अलावा स्कूल में ऐसी सुविधाएं जोड़ने के लिए भी कहा गया था. जिससे अधिक से अधिक बच्चे आकर्षित हो सकें.

इस मामले में जिला-स्तरीय स्कूल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बातचीत में इस मुद्दे पर कुछ खास आश्वासन नहीं दिया.

वहीं मुरुगेसन की बात से ये समझ आ जाता है की ग्रामीण इलाकों में स्कूल तो मौजूद है. लेकिन इन स्कूल की हालत इतनी खराब होती जा रही है की कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों को इन स्कूलों  में नहीं भेजना चाहेगा. इसके साथ ही इनमें शिक्षको की कमी भी देखी गई है

अक्सर स्कूल आदिवासी इलाकों से दूर होते हैं और यह एक बड़ी समस्या रही है. लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि जो स्कूल आदिवासी इलाकों में खोले भी जाते हैं तो उनकी देख-रेख नहीं की जाती है.


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