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तमिलनाडु: स्कूल जाने के लिए आदिवासी बच्चों को मुफ्त नाव की सुविधा मिलेगी

तमिलनाडु (tribes of tamil Nadu) के पेचिपराई बांध के पास रहने वाले कानी आदिवासियों को नाव की मुफ्त सुविधा (free boat service) मिलने वाली है.

यह सुविधा विशेषकर स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं के लिए है. ताकि उन्हें स्कूल आवा-गमन में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो.

गुरूवार को कन्याकुमारी के कलेक्टर, पी.एन. श्रीधर द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था.

कलेक्टर ने बताया की पिछले साल मई में स्कूल के कुछ छात्र-छात्राएं उनके पास आए थे. बच्चों ने उनसे यह आग्रह किया की उनके इलाके में भी एक माध्यमिक स्कूल खोला जाए.

सभी छात्र-छात्राओं ने उन्हें बताया की उनके इलाके में प्राथमिक स्कूल तो मौजूद है. लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें पेचिपराई में स्थित माध्यमिक स्कूल में जाना पड़ता है. जिसके लिए उन्हें पेचिपराई बांध को पार करना पड़ता है.

इस बांध को पार करने के लिए हर छात्र-छात्राओँ को 40 रूपये देने पड़ते है और इसे पार करने में 35 मिनट का लंबा समय लगता है.

पहले बांध पार करने वाले नाव का किराया एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दिया जाता था. लेकिन जब उन पर भी वित्तीय संकट आया तो उन्होंने छात्र-छात्राओं का किराया देना छोड़ दिया.

ये सभी छात्र-छात्राएं किसान परिवारों से आते हैं. ये आदिवासी परिवार जंगल से मिलने वाले उत्पाद बेच कर अपना पेट पालता है.

इनके परिवार के पास इतने पैसे नहीं है की वे अपने बच्चों के लिए रोज़ 40 रूपये खर्च कर पाए.

इसलिए आदिवासी बच्चों की यह मांग थी की या तो उनके इलाके में माध्यमिक स्कूल खोला जाए या फिर उन्हें नाव की मुफ्त सुविधा दी जाए.

जिला ग्रामीण विकास एजेंसी ने अधिकारियों से यह अनुमान लगाने के लिए कहा की नाव को खरीदने में कितने पैसे लगेंगे और अंत:  नाव को तीन लाख रूपये में खरीदा गया.

अब यह नाव स्कूल के बच्चों के साथ पेचिपराई के आस-पास स्थित गाँव के लोगों को भी मुफ्त सुविधा देती है.

इस पहले पिछले साल सितंबर में कलेक्टर द्वारा गाँव के 25 आदिवासी छात्र-छात्राओं को नाव की मुफ्त सुविधा दी गई थी. जिसका खर्चा ज़िला प्रशासन द्वारा उठाया गया था.

इन सभी 25 छात्र-छात्राओं को लाइफ जैक्ट भी दिए गए थे. ताकि यात्रा करते समय किसी भी तरह की परेशानी ना हो.

नाव की मुफ्त सुविधा का उद्घाटन करते समय कलेक्टर ने यह भी बताया की उंगलई थेडी उनगल ओरिल’ कार्यक्रम के अंतर्गत घने जंगलों में भी फोन के सिग्नल ट्रांसमिशन को बेहतर करने की भी कोशिश की जा रही है.

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