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राजस्थान में आदिवासी महिलाओं को ‘सिंदूर’ न लगाने और ‘मंगलसूत्र’ न पहनने के लिए कहने पर टीचर सस्पेंड

राजस्थान में आदिवासी हिंदू है या नहीं, इस मुद्दे को लेकर सियासत लगातार गर्म है. राज्य में आदिवासियों के हिंदू हैं या नहीं मुद्दे को लेकर लगातार बहस छिड़ी हुई. इसको लेकर बीते दिनों विधानसभा में भी काफी बवाल हुआ था.

इस बीच राज्य में एक महिला शिक्षिका को इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उसने आदिवासी महिलाओं से ‘सिंदूर’ न लगाने और ‘मंगलसूत्र’ न पहनने को कहा था.

18 जुलाई को बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में आयोजित एक महारैली में महिला टीचर मेनका डामोर ने आदिवासी परिवार की महिलाओं को कहा कि ‘हम हिंदू नहीं है, हम सिंदूर नहीं लगाते है, मंगलसूत्र नहीं पहनते हैं.’

IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, आदिवासी समुदाय ने उनकी टिप्पणियों पर आपत्ति जताई जिसके बाद शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक ने शिक्षिका मेनका को निलंबित कर दिया.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिक्षा विभाग की छवि खराब करने को लेकर मेनका के खिलाफ कार्रवाई की गई है. वह सादडिया स्कूल में शिक्षिका थीं.

दरअसल, अलग से भील प्रदेश की मांग को लेकर बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम पर 18 जुलाई को महारैली आयोजित की गई थी. इस रैली में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासियों ने हिस्सा लिया था.

इसी रैली में बोलते हुए आदिवासी कार्यकर्ता मेनका डामोर ने कहा था कि महिलाएं पंडितों के बताएं अनुसार ना चलें, आदिवासी परिवार में सिंदूर नहीं लगाते हैं, मंगलसूत्र नहीं पहनते हैं. आदिवासी समाज महिला बालिका शिक्षा पर फोकस करें, अब से सब व्रत उपवास को बंद कर दें, हम हिंदू नहीं हैं.

डामोर ने कहा कि आदिवासी समुदाय की संस्कृति हिंदुओं से अलग है.

उन्होंने कहा, “मैं न तो मंगलसूत्र पहनती हूं और न ही सिंदूर लगाती हूं. मैं कोई व्रत भी नहीं रखती हूं.”

डामोर ने कहा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है लेकिन उसे देवताओं का घर बना दिया गया है. उन्होंने कहा, “हमारे स्कूलों को देवी-देवताओं का घर बना दिया गया है. यह शिक्षा का मंदिर है, वहां कोई उत्सव नहीं होना चाहिए.”

उनके इसी बयान के बाद शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए मेनका डामोर को सस्पेंड कर दिया है. वह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सादडिया में शिक्षिका थीं. उन पर राजस्थान आचरण नियम और विभाग की छवि खराब करने के लिए कार्रवाई की गई है. सस्पेंशन के दौरान दोवड़ा सीबीईओ ऑफिस में ड्यूटी के निर्देश दिए गए है.

वहीं इसी रैली में सांसद राजकुमार रोत ने लोगों को आश्वासन दिया कि भील समुदाय के लिए अलग राज्य के प्रस्ताव को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेगा.

आदिवासी नेताओं द्वारा आयोजित रैली में नवनिर्वाचित सांसद रोत ने कहा कि ‘भील राज्य’ के गठन की मांग लंबे समय से लंबित है और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठा रही है.

उन्होंने कहा, “भील प्रदेश की मांग नई नहीं है. बीएपी इस मांग को मजबूती से उठा रही है. महारैली के बाद एक प्रतिनिधिमंडल प्रस्ताव लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलेगा.”

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