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तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023: बीजेपी की 10% आरक्षण कार्ड से आदिवासियों को लुभाने की कोशिश

पांच राज्यों – राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही राजनीतिक पार्टियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए वादों की झड़ी लगाना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में तेलंगाना बीजेपी ने राज्य में सत्ता में आने पर आदिवासियों को शिक्षा, नौकरियों और स्थानीय निकाय चुनावों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया है.

केंद्रीय पर्यटन मंत्री और राज्य भाजपा अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने यह घोषणा तब की जब वह बुधवार को सम्मक्का और सरक्का आदिवासी देवताओं की पूजा करने के लिए मुलुगु जिले के मेदाराम के दौरे पर थे.

इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी आदिवासी समुदाय को लुभाने की हर संभव कोशिश कर रही है. क्योंकि 2018 चुनाल में आदिवासी इलाकों में ज्यादातर विधायक सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं.

पिछले हफ्ते तेलंगाना की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादे के मुताबिक 900 करोड़ रुपये की लागत से समक्का और सरक्का के नाम पर राज्य में एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी और भूमि आवंटन में देरी के लिए बीआरएस सरकार को दोषी ठहराया था.

रेड्डी ने कहा कि भाजपा आदिवासियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, “चुनाव के बाद जब भाजपा सत्ता में आएगी तो हम शिक्षा, रोजगार के अवसरों और स्थानीय निकाय चुनावों में आदिवासियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लेंगे.”

दरअसल, अनुसूचित जनजातियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की मांग लंबे समय से चली आ रही है.

दिलचस्प बात ये हैं कि तेलंगाना में सभी तीन प्रमुख दल – भाजपा, बीआरएस और कांग्रेस… आगामी राज्य चुनाव में आदिवासी वोटों पर कब्ज़ा करने के लिए आदिवासियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का वादा कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने पिछले साल आदिवासी समुदाय से यही वादा करते हुए कहा था कि वे केंद्र की मंजूरी का इंतजार नहीं करेंगे. कांग्रेस ने भी एसटी समुदाय के लिए 10 फीसदी आरक्षण की मांग का समर्थन किया है.

करीब 6 साल पहले तेलंगाना विधानसभा में अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने संबंधी विधेयक पास किया गया था. बाद में इसे केंद्र सरकार को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा गया.

लेकिन राज्य सरकार और मुख्यमंत्री KCR के कई अनुरोध के बावजूद ये विधेयक अभी तक लंबित है. विधेयक में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण में बढ़ोतरी का प्रावधान रखा गया था.

वहीं 10 फीसदी आरक्षण के अलावा जी किशन रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार 25 करोड़ रुपये की लागत से हैदराबाद में एक आदिवासी स्मारक संग्रहालय स्थापित करेगी. जबकि 6.5 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित आदिवासी अनुसंधान केंद्र का जल्द ही उद्घाटन किया जाएगा.

तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों के लिए 12 विधानसभा सीटें और दो एमपी सीटें आरक्षित हैं.

तेलंगाना चुनाव 2023

तेलंगाना में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए वोटिंग एक ही चरण में 30 नवंबर को होगी और नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. तेलंगाना राज्य सरकार का मौजूदा कार्यकाल जनवरी 2024 में समाप्त हो रहा है. ऐसे में राज्य में दिसंबर तक चुनाव कराकर तेलंगाना चुनाव का रिजल्ट जारी करना जरूरी है.

अभी तेलंगाना में मुख्यमंत्री केसी राव हैं. वहीं विधानसभा में बीआरएस की विपक्ष कांग्रेस है. तेलंगाना में तीन प्रमुख पार्टियों के बीच मुकाबला बताया जा रहा है. यह मुकाबला बीआरएस, कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी कुछ सीटें ले सकती है.

तेलंगाना विधानसभा चुनाव पार्टियों के लिए इस मायने में भी अहम है क्योंकि यह लोकसभा चुनाव 2024 की तस्वीर भी साफ करेगा कि दक्षिण के राज्य तेलंगाना में बीजेपी, कांग्रेस और बीआरएस कहां है

आंध्र प्रदेश से अलग होकर जब नया राज्य तेलंगाना बना तब यहां पहली बार 2014 में चुनाव हुए. नए राज्य में पहली सरकार बनाने के लिए बीआरएस ने 63 सीटें हासिल की थीं.

बीआरएस जो पहले टीआरएस भी उसने न सिर्फ 2018 में सत्ता बरकरार रखी बल्कि 119 सदस्यीय विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 88 कर ली. कांग्रेस के एक दर्जन सहित कई विधायकों के दलबदल के साथबीआरएस ने अपनी ताकत 100 से अधिक कर ली. फिलहाल सरकार के पास तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में से 87 विधानसभा सीटें हैं.

राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाने के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के खुद को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में बदलने के बाद यह पहला चुनाव होगा.

तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे

तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018 का रिजल्ट देखें तो बीआरएस (तब टीआरएस हुआ करती थी) ने 87 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस महज 19 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी थी. जबकि असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को 7 सीटें मिली थीं. बीजेपी को तेलंगाना में महज 1 विधानसभा सीट हासिल हुई थी. वहीं तेलुगू देशम पार्टी ने 2 सीटें जीती थीं.

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