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एससी, एसटी आयोग के गठन में देरी क्यों?- हाईकोर्ट

तेलंगाना हाई कोर्ट की चीफ़ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ए राजशेखर रेड्डी की एक डिविज़न बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आयोग के गठन में हो रही देरी की वजहों के बारे में जानना चाहा है.

कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और समाज कल्याण विभाग के आयुक्त और निदेशक को नोटिस जारी कर उनसे देरी के बारे में बताने को कहा है.

मेडिपल्ली सत्यम द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है कि मौजूदा आयोग का कार्यकाल फ़रवरी में समाप्त हो गया था. उन्होंने दावा किया कि आयोग की नियुक्ति न होने से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

जनहित याचिका में कहा गया है कि भले ही दलित और आदिवासी समुदायों के कल्याण और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इन समुदायों के हितों की रक्षा के लिए नियुक्त अधिकारियों द्वारा लागू नहीं किए जा रहे हैं.

याचिकाकर्ता के वकील टी रजनीकांत रेड्डी ने अदालत से संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत अनिवार्य रूप से नए आयोग की नियुक्ति के लिए एक निर्देश जारी करने के लिए कहा है.

आयोग की ज़िम्मेदारियां

आयोग की ज़िम्मेदारियों में आलित और आदिवासी समुदायों द्वारा उठाई गई शिकायतों को देखना, अनफ़ेयर प्रैक्टिस की जांच, अनुसंधान और विश्लेषण, कानूनी उपायों का सुझाव देना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित कानूनों के कामकाज की निगरानी करना, सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट भेजने वाले गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित करना, और सिफारिशें करना शामिल है.

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