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तेलंगाना: दो सरकारी विभागों के बीच खींचतान में फंसा आदिवासी, कागज़ होने के बावजूद नहीं मिल रहा ज़मीन का पट्टा

तेलंगाना सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में स्वीकार किया कि आदिवासी आबादी वाले कई ज़िलों में पोदू भूमि से जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं हुआ है. ख़ासतौर पर उनक जो राजस्व और वन विभागों के बीच भूमि के स्वामित्व को लेकर हैं.

अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री सत्यवती राठौड़ ने प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्यों डी अनसूया (सीतक्का) और एम भट्टी विक्रमार्का द्वारा उठाए गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता में अधिकारियों और विधायकों की एक टीम पोदू भूमि से जुड़े मसलों का समाधान ढूंढने पर काम रही है.

मंत्री ने बताया कि फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत अब तक 6,31,850 एकड़ जमीन के लिए दावे दायर हुए हैं, जिनमें से 94,774 पट्टों के तहत 3,03,970 एकड़ ज़मीन का वितरण भी हुआ है.

2018 से 98,745 एकड़ के लिए 27,990 दावे किए गए थे और उनमें से 4,248 एकड़ के लिए 2,401 दावे योग्य पाए गए. 53,565 एकड़ भूमि  के लिए 15,613 दावे अभी पेंडिंग हैं. बाक़ि बची 40,932 एकड़ भूमि के लिए 9,976 दावों को जिला-स्तरीय समितियों द्वारा अस्वीकार कर दिया गया.

तेलंगाना विधानसभा

मंत्री ने सभा को यह भी बताया कि रायतु बंधु और रायतु बीमा योजनाओं के शुरु होने से पोदू ज़मीन के लिए पट्टों के आवेदन बढ़े हैं.

दरअसल, ख़बरों के अनुसार फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी राजस्व विभाग द्वारा दिए गए पट्टों को नहीं मान रहा है. दोनों विभागों के बीच इस खींचतान में आदिवासी अपनी ज़मीन. जिसपर वो सदियों से खेती कर रहे हैं, खोने की कगार पर हैं.

तेलंगाना सरकार ने कहा है कि उसने अधिकरियों से कहा है कि आदिवासी किसानों को बेवजह तंग न किया जाए. ऐसा करने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ सरकार एक्शन भी लेगी.

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