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वायनाड के आदिवासियों के लिए ख़ास टेलीमेडिसिन यूनिट

केरल के वायनाड के पहाड़ी जिले में ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में सफलता पाने के बाद, कुडुम्बश्री जिला मिशन ने वायनाड वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के अंदर स्थित आदिवासी बस्ती मणिमुंडा में एक टेलीमेडिसिन यूनिट स्थापित की है.

अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के. राधाकृष्णन गुरुवार को परियोजना का उद्घाटन करेंगे.

नूलपुझा में परिवार स्वास्थ्य केंद्र (एफएचसी) और जिले की एक सॉफ्टवेयर कंपनी सेंटर फॉर सोशल कंप्यूटिंग के सहयोग से यह परियोजना कार्यान्वित की जा रही है. इसका मकसद मणिमुंडा बस्ती के आदिवासी निवासियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना है.

बस्ती सबसे निकटतम शहर नायकट्टी से लगभग चार किमी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लगभग छह किमी दूर है.

“सुल्तान बतेरी में एक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ जितेंद्रनाथ ने कुछ साल पहले सैंक्चुअरी के तहत कुरीचिया आदिवासी बस्ती के लोगों के लिए एक टेलीमेडिसिन यूनिट स्थापित की थी, और यह काफी सफल रही. इस सफलता ने हमें डॉ. जितेंद्रनाथ के सहयोग से समाज के वंचित वर्ग के लिए परियोजना शुरू करने के लिए प्रेरित किया,” कुडुम्बश्री मिशन के जिला समन्वयक पी. सजिता ने हिंदू अखबार को बताया.

मिशन के तहत मणिमुंडा में कुडुम्बश्री यूनिट के छह सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है. यह छह लोग 46 आदिवासी परिवारों के 156 सदस्यों की जरूरतों को पूरा करेंगे. इनमें बस्ती के 20 काट्टूनायकन और 26 कुरुमा आदिवासी परिवार शामिल हैं.

मिशन ने बस्ती में वाई-फाई टावर, कंप्यूटर, मॉनिटर के साथ वेब कैमरा, और एक प्रिंटर जैसी सुविधाओं के साथ एक केंद्र स्थापित किया है. यह सेंटर चौबीसों घंटे निवासियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने के लिए नूलपुझा एफएचसी से जोड़ा गया है.

कोई भी निवासी मामूली बीमारी के इलाज के लिए केंद्र से संपर्क कर सकता है. यह खासकर रात के समय कारगर होगा, और प्रशिक्षित सदस्य डॉक्टर और मरीज की बात करवाएंगे. मिशन ने परियोजना पर 2 लाख रुपए खर्च किए हैं.

मिशन ने छोटी-मोटी बीमारी के लिए अलग अलग दवाएं रखी हैं, और डॉक्टर के निर्देश के अनुसार अस्पताल से भी दवाएं दी जाएंगी.

इसके अलावा सेंटर पर आदिवासियों में देखे जाने वाले रोगों, जैसे किसनूर फॉरेस्ट डिजीज या मंकी फीवर, के बारे में निवासियों के बीच जागरुकता अभियान भी चलाए जाएंगे.

जल्दी ही इस परियोजना को छह दूसरी आदिवासी बस्तियों में विस्तारित करने की योजना भी बनाई जा रही है.

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