त्रिपुरा के धलाई जिले में एक 21 वर्षीय आदिवासी छात्र की मौत के बाद तनाव बढ़ गया है. कथित तौर आदिवासी छात्र पर एक मेले में लड़कों के एक समूह द्वारा हमला किया गया था. जिसका नाम परमेश्वर रियांग था, जिसने अगरतला के जी बी पंत अस्पताल में दम तोड़ दिया.
घटना के जवाब में जिला प्रशासन ने कई घरों और दुकानों पर हमला किए जाने के बाद क्षेत्र में धारा 144 लगा दी. अधिकारियों ने राज्य में शांति बनाए रखने के लिए 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाओं को भी निलंबित कर दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी बल तैनात किया.
त्रिपुरा पुलिस ने रियांग की मौत के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है.
रिपोर्ट बताती है कि 7 जुलाई को मेले में दो समूहों के बीच विवाद हिंसक हो गया था. जिसमें रियांग गंभीर रूप से घायल हो गया.
वहीं मिज़ोरम से विस्थापित ब्रू जनजाति के एक समूह द्वारा कथित तौर पर जिले के गंडतविसा उप-विभाग में मंगलवार तड़के आगजनी की एक ताजा घटना की सूचना मिली है.
आस-पास के शेल्टर होम में रहने वाले बेघर परिवारों ने दावा किया कि दो दुकानों में आग लगा दी गई. जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें एक दुकान के मालिक सहित छह प्रदर्शनकारी घायल हो गए.
रिपोर्ट्स के मुताबिक गंडतविसा के आस-पास के गांवों में 40 से ज़्यादा घरों और 25 दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया और 10 से ज़्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया.
पीड़ितों ने एसडीएम चंद्रोदय रियांग और एसडीपीओ बापी देबबर्मा की चुप्पी पर सवाल उठाए, जो हमले के दौरान संपर्क में नहीं थे। उप-मंडल मुख्यालय में हुई ताज़ा घटना के बाद पीड़ित परिवारों ने पुलिस स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया और अधिकारियों पर योजनाबद्ध तरीके से आगजनी और लूटपाट का आरोप लगाया. जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
क्या है पूरा मामला?
7 जुलाई को एक भीड़ के हमले में परमेश्वर रियांग बुरी तरह से घायल हो गए थे. हमले में लगी चोट की वजह से 12 जुलाई को उनकी मौत हो गई. जिसके बाद गंडतविसा इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया.
छात्र की मौत के बाद इलाके में धारा 144 लागू होने के बावजूद हिंसा भड़क गई और कई घरों, दुकानों में आग लगा दी गई. हालांकि स्थानीय प्रशासन का दावा है कि स्थिति धीरे धीरे सामान्य हो रही है.
परमेश्वर के पिता खर्गराम रियांग के मुताबिक, गंडतविसा में एक मेले के दौरान रियांग को बेरहमी से पीटा गया था.
ऐसा तब हुआ जब रियांग ने एक मानसिक रूप से अस्थिर गैर-आदिवासी युवक को बचाने की कोशिश की, जिसे कई गैर-आदिवासी लोग पीट रहे थे.
खर्गराम रियांग का कहना है कि हमलावरों ने उनके बेटे को रॉड से पीटा और करंट भी दिया. बाद में उन्हें अगरतला के जीबीपी हॉस्पिटल ले जाया गया और शुक्रवार को परमेश्वर की मौत हो गई.
परमेश्वर की मौत की खबर से इलाके में गुस्सा फैल गया और हिंसा भड़क गई.
प्रशासन का क्या कहना है?
बीबीसी की रिपोर्धट के मुताबिक, धलाई जिले के डीएम साजू वाहिद का कहना है कि सांप्रदायिक तनाव की आशंका को देखते हुए धारा 144 पहले से ही लागू कर दी गई थी और इंटरनेट को अस्थायी तौर पर सस्पेंड किया गया था.
आग लगने की घटना होने पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े.
डीएम वाहिद ने बताया कि परमेश्वर रियांग की हत्या से जुड़े चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है.
इलाके में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए एसपी और एडीएम समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अतिरिक्त बलों के साथ मौके़ पर मौजूद हैं.
राजनीतिक बयानबाजी
वहीं विपक्षी पार्टियां सीपीआईएम और कांग्रेस, राज्य सरकार की आलोचना कर रही हैं. इन पार्टियों का कहना है कि सरकार पूरी तरह से नाकाम रही है.
पूर्व सांसद और विपक्ष के नेता जितेंद्र चौधरी का कहना है कि इस मामले में लापरवाही और कुप्रबंधन हुआ है, इसके लिए वो बीजेपी के नेतृत्व वाली ”डबल इंजन” सरकार को ज़िम्मेदार बता रहे हैं.
जितेंद्र चौधरी ने ‘आनंद मेला’ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए स्थानीय बीजेपी नेताओं की आलोचना की है. उन्होंने दावा किया कि ये कार्यक्रम शराब पीने और जुए का केंद्र बन गया है, जिससे ऐसी हिंसा हो रही है.
जितेंद्र चौधरी ने त्रिपुरा के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है.
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि प्रशासन शांति बैठकें आयोजित करे और प्रभावित क्षेत्रों में फिर से व्यवस्था बहाल की जाए.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आशीष कुमार साहा ने भी सरकार पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं, उन्होंने हालात को काबू कर पाने में नाकाम होने पर राज्य सरकार की आलोचना की है.
आशीष ने जल्द से जल्द पीड़ितों को सुरक्षा और मुआवज़ा देने की भी मांग की है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीब भट्टाचार्य ने भी परमेश्वर के परिवार के लिए इंसाफ़ की मांग की है.
उन्होंने कहा कि सरकार हिंसा से पीड़ित लोगों को सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है.
भट्टाचार्य का कहना है कि मुख्यमंत्री माणिक साहा पूरे हालात पर करीबी नज़र बनाए हुए हैं और उन्होंने त्वरित कार्रवाई के लिए टॉप पुलिस अधिकारियों को मौके पर भेजा है.
बीजेपी की सहयोगी पार्टी टिपरा मोथा के सुप्रीमो प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने हमले की निंदा की और परमेश्वर रियांग के परिवार से मुलाकात की साथ ही उन्हें इंसाफ दिलाने का वादा किया है. उन्होंने ये भी कहा है कि कानून को अपने हाथ में नहीं लिया जाना चाहिए.
उन्होंने शांति स्थापित करने की बात कही है और कम्युनिटी को साथ आकर इस संकट से उबरने के लिए काम करने का आग्रह किया है.
प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने कहा, “मैं गंडतविसा में परमेश्वर रियांग की हत्या की निंदा करता हूं. मैंने व्यक्तिगत रूप से सर्वोच्च पुलिस अधिकारी से बात की है और मांग की है कि दोषियों पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए जाएं. मैं शांति और संयम की भी अपील करता हूं. हम न्याय की मांग करते हैं.”
वहीं हालात को सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं और गंडतविसा में एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया.
प्रशासन ने पीड़ितों के लिए अस्थायी आश्रय स्थल के तौर पर गंडतविसा हाईस्कूल खोला है.