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गुजरात, गोवा, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों को आदिवासी छात्रावासों के लिए पिछले 3 साल में केन्द्र से नहीं मिली फूटी कौड़ी

केन्द्र सरकार ने आदिवासी छात्रों के हॉस्टल निर्माण के लिए 2019-20 में कम से कम 14 राज्यों को कोई पैसा नहीं दिया है. इनमें से कई राज्य तो ऐसे हैं जिन्हें पिछले 3 साल से एक भी पैसा नहीं दिया गया है.

जिन राज्यों को पिछले 3 साल से एक भी पैसा नहीं दिया गया है उनमें बीजेपी शासित गुजरात, गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश भी शामिल हैं.

इसके अलावा दक्षिण में तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना को भी कोई पैसा नहीं दिया गया है.

महाराष्ट्र को भी लगातार 2 साल से पैसा नहीं दिया गया है. जबकि मध्य प्रदेश को साल 2018-19 में कोई पैसा नहीं दिया गया है.

देश के जिन राज्यों में आदिवासी आबादी है वहाँ आदिवासी छात्रों के लिए हॉस्टल बनाने के लिए केन्द्रीय मदद दी जाती है. 3 साल पहले तक केन्द्र सरकार एक अलग योजना के तहत राज्यों को इस काम के लिए पैसा देती थी.

लेकिन साल 2018-19 में केन्द्र सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया. 

सरकार का कहना है कि आदिवासी कल्याण और विकास से जुड़ी केन्द्रीय योजनाओं को अधिक तर्कसंगत बनाने के लिए यह फ़ैसला लिया गया था.

सरकार का कहना है कि अभी भी राज्य सरकारों को आदिवासी लड़के लड़कियों के लिए हॉस्टल निर्माण का पैसा दिया जाता है. 

लेकिन यह पैसा अब जनजातीय सब स्कीम और स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस के तहत दिया जाता है. इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत केन्द्र राज्य को इस काम के लिए धन उपलब्ध कराता है.

इन योजनाओं के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय की एक कमेटी राज्यों के प्रस्तावों पर विचार करने के बाद सहायता तय करती है. 

पिछले 3 सालों में सरकार ने इस मद में किसी भी राज्य को कोई राशी उपलब्ध नहीं की है. लेकिन सरकार का दावा है कि आदिवासी छात्रों के हॉस्टल और दूसरी सुविधाओं के लिए राज्यों को पैसा दिया गया है.

सरकार ने दावा किया है कि उसने अलग अलग राज्यों को साल 2019 में लगभग 225 करोड़ रूपये दिए हैं. 

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