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आरकू के आदिवासी हाट की तस्वीरें देख दिल दे बैठेंगे

अराकू या अरकु घाटी आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम ज़िले में एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है. यह छोटा सा शहर है जो भारत के पूर्वी घाट के ख़ूबसूरत पहाड़ों के बीच बसा है. अराकू घाटी को देश के सबसे ख़ूबसूरत पर्यटक स्थलों में गिना जाता है. दक्षिण भारत में बनने वाली कई फ़िल्मों में भी इस हिल स्टेशन को ख़ूब दिखाया जाता है. 

यहाँ के ख़ूबसूरत पहाड़ों और घाटी में कई आदिवासी समुदाय रहते हैं. यह तथ्य शायद ही कभी बताया जाता है. आज हम आपको यहाँ के आदिवासी बाज़ार में ले चलते हैं. कुछ तस्वीरों के ज़रिए आपको भी इन आदिवासियों की ज़िंदगी की एक झलक आपको मिल सकती है.

हज़ारों आदिवासी इस साप्ताहिक हाट में आते हैं

आरकू घाटी में लगने वाले साप्ताहिक बाज़ार में आदिवासी जो सामान बेचते हैं उसको तौलने के लिए किसी तराज़ू का इस्तेमाल नहीं करते हैं. आमतौर पर अंदाज़े से ही फल और सब्ज़ियाँ बेचते हैं. फल और सब्ज़ियों के अलावा मूँगफली, रागी और आम पापड़ भी अंदाज़े से ही बेचा जाता है.

आदिवासी बाज़ार में कुछ यूँ मापा जाता है वज़न

भारत के आदिवासी इलाक़ों में आमतौर पर महिलाएँ ही सामान बेचने आती है. यह कहना ग़लत नहीं होगा कि आदिवासी भारत में आर्थिक गतिविधियों को चलाने और परिवार को पालने की ज़िम्मेदारी मौटेतौर पर महिलाएँ ही निभाती हैं. आरकू घाटी में भी हमें यही देखने को मिला.

आदिवासी हाटों में आमतौर पर महिलाएँ ही सामान बेचती हैं

आदिवासी हाटों में लोग सप्ताह में एक बार आते हैं. इन साप्ताहिक हाटों में लोकल शराब और ताड़ी भी बिकती है. यह काम भी यहाँ महिलाएँ ही करती हैं. लेकिन ख़ास बात यह होती है कि आदिवासी इलाक़ों में शराब की बिक्री करने वाली इन महिलाओं को किसी तरह की बेअदबी का सामना आमतौर पर नहीं करना पड़ता.

आरकू घाटी में लगे साप्ताहिक हाट में ताड़ी और लोकल शराब बेचती महिला

आरकू घाटी में आदिवासी महिलाएँ ख़ूब सज संवर कर साप्ताहिक हाट में आती हैं. इन महिलाओं की गहने और गजरों का तो क्या ही कहना. बस कहा जा सकता है बेहद ख़ूबसूरत

खूब सजती संवरती हैं आरकू घाटी की आदिवासी महिलाएँ

आरकू के आदिवासियों की ज़िंदगी आसान नहीं है. महिलाओं को ख़ासतौर से बहुत मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन जब साप्ताहिक हाट में ये महिलाएँ आती हैं तो एक सुकून और ख़ुशी उनके चेहरे पर नज़र आती है.

दुकान सजाने चली कोदू आदिवासी महिला

आदिवासी हाट में पुरूष आमतौर पर शराब या फिर तंबाकू की दुकान पर ही ज़्यादा नज़र आते हैं. इन हाटों में तंबाकू साबूत होता है जिसे काट कर और कूट कर बेचा जाता है. यहाँ पर पुरूष आमतौर पर ताज़ा बनी, बड़ी बड़ी बीड़ियों से धुआँ छोड़ते मिल जाते हैं.

धुआँ उड़ाते आदिवासी पुरूष, परिवार की ज़िम्मेदारी औरतों पर ही छोड़ देते हैं

आरकू घाटी के आदिवासियों के बारे में और इन बाज़ारों से जुड़ी कहानी आपको विस्तार से जल्दी ही सुनाएँगे. ये तस्वीरें आपको कैसी लगीं, कॉमेंट बॉक्स में हमें ज़रूर बताएँ.

(ये सभी तस्वीरें श्याम सुंदर ने खींची हैं.)

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