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महाराष्ट्र: गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का एक चौथाई हिस्सा तीन आदिवासी ज़िलों में

महाराष्ट्र में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का एक चौथाई हिस्सा राज्य के तीन आदिवासी बहुल ज़िलों में है. आंगनवाड़ियों द्वारा किए गए एक सर्वे से यह पता चला है.

बेहद कम वज़न वाले 83,909 बच्चों में से 24.7 प्रतिशत मामले नंदुरबार, गढ़चिरौली और पालघर में सामने आए हैं. कुल मिलाकर 60.6 लाख बच्चों का सर्वेक्षण किया गया, जिनमें से 10 प्रतिशत से ज़्यादा का वज़न उनकी उम्र के हिसाब से काफ़ी कम पाया गया.

बच्चों की संख्या और प्रतिशत दोनों में ही नंदुरबार की स्थित बेहद ख़राब है. उत्तरी महाराष्ट्र के इस आदिवासी बहुल ज़िले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का 1.45 लाख बच्चों का वज़न नापा, और उनमें से 33 प्रतिशत बच्चों का वज़न कम पाया गया. इसके अलावा नंदुरबार में 11,008 बच्चों को वज़न गंभीर रूप से कम पाया गया.

महिला एवं बाल विकास (WCD) विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक़ कम वज़न वाले बच्चों को कुपोषित माना जा रहा है. गढ़चिरौली और पालघर में भी हालात बहुत बेहतर नहीं हैं.

गढ़चिरौली में 25 प्रतिशत बच्चों का वज़न कम पाया गया. सर्वे में 76,059 बच्चों में से 3,986 गंभीर रूप से कुपोषित थे.

पालघर में सर्वे में शामिल 1.72 लाख बच्चों में से 23 प्रतिशत बच्चों का वज़न कम पाया गया. ज़िले में 5,860 गंभीर रूप से कम वज़न, और 34,373 सामान्य से कम वज़न के बच्चे थे.

इन तीन ज़िलों के अलावा अमरावती में, जहां मेलघाट का आदिवासी इलाका है, वहां 15 फीसदी बच्चों का वज़न कम बताया गया है. हालांकि यह स्थिति सिर्फ़ आदिवासी इलाक़ों की नहीं है, शहरों में भी हाल कुछ ऐसा ही है.

मुंबई शहर में सर्वे किए गए 2.89 लाख बच्चों में से 15 प्रतिशत का वज़न कम पाया गया. ठाणे और नासिक में भी 13 प्रतिशत बच्चों का वज़न कम है. पूरे राज्य में में 83,909 बच्चों का वज़न गंभीर रूप से कम पाया गया.

मार्च में WCD ने 4,973 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को ग्राम बाल विकास केंद्रों में भर्ती कराया था, जहां बच्चों को उनके पोषण में सुधार के लिए अतिरिक्त भोजन दिया जाता है.

कम से कम 4,843 बच्चों को ऊर्जा से भरपूर पौष्टिक भोजन (Energy Dense Nutritious Food – EDNF) दिया गया. EDNF सूक्ष्म पोषक तत्वों के भरपूर एक रेडीमेड पेस्ट है, जो सुनिश्चित करता है कि बच्चों का वज़न सामान्य रहे.

EDNF सबसे ज़्यादा नंदुरबार में 1,004 बच्चों को दिया गया. जबकि गढ़चिरौली में 685 बच्चों को कार्यक्रम में शामिल किया गया था. हालांकि, अमरावती में 140, और पालघर में 181 बच्चों को ही EDNF दिया गया. पालघर में अप्रैल और मई में कुपोषित बच्चों की 40 मौतों की सूचना आई.

WCD ने अब काम के लिए एक ज़िले से दूसरे ज़िले में जाने वाले परिवारों, उनके बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गुलाबी और हरे रंग के “पोषण कार्ड” जारी किए हैं. इन पोषण कार्ड से यह सुनिश्चित किया जाता है कि पलायन के बावजूद उनके पोषण पर असर न पड़े.

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