सोमवार को त्रिपुरा सरकार के विपक्षी दल टीआईपीआरए मोथा पार्टी से जुड़े आदिवासी व्यक्तियों के एक दल ने खोवाई जिले के तहत मुंगियाकामी में राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर नाकाबंदी की थी.
यह प्रदर्शन पांच घंटे तक चला था, जिसकी शुरूआत सुबह 9 बजे से हुई और दोपहर 1.45 बजे इसका समापन किया गया.
इस प्रदर्शन के दौरान यह मांग रखी गई की वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासियों को भूमि आवंटित की जाए और ज़िले में आदिवासियों के लिए सुरक्षा भी बढ़ाई जाए.
टीआईपीआरए मोथा (TIPIRA Motha Party) के मुंगियाकामी ब्लॉक अध्यक्ष महेंद्र देबबर्मा (Mahendra Debbarma) और उनके समूह ने यह मांग की थी की स्थानीय ग्रामीणों के लिए सुरक्षा बढ़ाई जाए क्योंकि इस क्षेत्र में कुछ समय से लगातार जंगली हाथियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं.
महेंद्र देबबर्मा ने दावा किया है की पिछले वर्ष लगभग 26-27 जंगली हाथियों ने हमला किया, जिसके कारण कई लोगों की मौत हुई और कुछ लोग घयाल भी हुए थे.
उन्होंने दावा किया कि इनमें से कई घटनाएं ऐसी भी रही होगी, जो कभी दर्ज नहीं की गईं क्योंकि वे रबर के बागानों और धान के खेतों जैसे क्षेत्रों में घाटित हुए थे. उन्होंने कहा की जो शिकायते दर्ज भी हुई, तो उसमें कोई ठोस कार्रवाई नहीं कई गई है.
इसके अलावा देबबर्मा ने इस बात पर भी जोर दिया कि आसपास के कई आदिवासी लोग जंगलों से सादियों से जुड़े हुए है. लेकिन कई बार आग्रह करने पर भी इन आदिवासियों को उनके ही जंगल पर भूमि पट्टा नहीं दिया जा रहा है.
प्रदर्शन के दौरान उप-विभागीय मजिस्ट्रेट सहित स्थानीय अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों के साथ समझौते की कई कोशिशे भी की थी.
देबबर्मा ने ये भी बताया की राज्य के जिलाधिकारी ने भी उनसे फोन पर बातचीत की थी. इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार 20 जनवरी को त्रिपुरा के वन मंत्री, विकास देबबर्मा ने एक परिवार पर जंगली हाथी के हमले की जांच के लिए खोवाई जिले के कुछ हिस्सों का दौरा किया था.
जिसके बाद आश्वासन भी दिया गया, लेकिन उसी दिन 24 घंटे के भीतर चकमाघाट पर हाथियों का एक और हमला हुआ. जिससे संपत्ति को नुकसान हुआ था.
त्रिपुरा वन विभाग की पिछली रिपोर्ट के अनुसार, राज्य 102 हाथियों का घर है, जिनमें 42 जंगली और 60 कैद में हैं. हाल ही में हुए हाथी पर सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट आना अभी बाकी है.