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गुजरात: केजरीवाल कल 50 हज़ार से अधिक आदिवासियों की सभा को संबोधित करने के लिए तैयार

दिल्ली के मुख्यमंत्री (Delhi Chief Minister) और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) रविवार को एक दिवसीय दौरे पर गुजरात जाएंगे. अपने गुजरात दौरे पर केजरीवाल करीब 50 हज़ार से भी अधिक आदिवासियों को संबोधित कर सकते है.

केजरीवाल भरूच के नेत्रंग में आदिवासियों की एक सभा को संबोधित करेंगे, जहां जेल में बंद डेडियापाडा के आप विधायक चैतर वसावा का परिवार उनके साथ मंच साझा करेगा.

अरविंद केजरीवाल गुजरात में एक साल से अधिक समय बाद कोई कार्यक्रम करेंगे. इससे पहले उन्होंने 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में आखिरी कार्यक्रम किया था.

गुजरात आप नेताओं ने कहा कि केजरीवाल के रविवार सुबह वडोदरा एयरपोर्ट पर पहुंच के नेत्रंग जाने की संभावना है. जहां उनके भरूच लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा नर्मदा और भरूच ज़िलों के 50,000 से अधिक आदिवासियों की एक सभा को संबोधित करने की उम्मीद है.

केजरीवाल का दौरा चैतर वसावा के नर्मदा ज़िले के डेडियापाडा पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण करने के लगभग तीन सप्ताह बाद हो रहा है.

चैतर वन अधिकारियों से जबरन वसूली और मारपीट के एक कथित मामले में एक महीने से अधिक समय से गिरफ्तारी से बच रहे थे.

आप के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव (AAP national joint secretary) गोपाल इटालिया (Gopal Italia) ने कहा कि केजरीवाल वडोदरा से नेत्रंग पहुंचेंगे.

उन्होंने बताया कि पहले उनकी यह योजना थी कि वह सूरत के रास्ते आएंगे लेकिन सुरक्षा कारणों और वडोदरा से कम दूरी के कारण वह अब वडोदरा एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे.

इसके अलावा आम आदमी पार्टी के प्रदेश संगठन महासचिव मनोजभाई सोरठिया के अनुसार अरविंद केजरीवाल आदिवासी नेता चैतरभाई वसावा के समर्थन में जनसभा करेंगे.

इस रैली में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद रहेंगे. यह रैली सात जनवरी को नेतरंग में होगी.

ऐसा दावा किया जा रहा है कि चैतर वसावा गुजरात में वनकर्मियों को कथित तौर पर धमकी देने के साथ ही हवाई फायरिंग के मामले में फरार हो गए थे. हालांकि, इसके बाद उन्होंने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.

पुलिस के द्वारा विधायक चैतर वसावा को गिरफ्तार कर लिया गया है.

गौर करने वाली बात यह है कि गुजरात पहुंचकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आदिवासियों को संबोधित करेंगे.

अगर वह संबोधित करते है तो क्या वह संबोधन में आदिवासियों से जुड़े असल मुद्दों को सुनेंगे और क्या वह आदिवासियों के बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करेंगे.

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