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तमिल नाडु: टाइगर रिज़र्व के अंदर बसी आदिवासी बस्ती में आखिरकार पहुंचेगी बिजली

कई दशकों के इंतजार के बाद, तमिल नाडु के आनमलई टाइगर रिज़र्व की टॉप स्लिप के पास एरुमपारई आदिवासी बस्ती जल्द ही इस जंगल में बिजली कनेक्शन पाने वाली पोल्लाची वन प्रभाग की पहली आदिवासी बस्ती बन जाएगी.

एटीआर के अधिकारियों का कहना है कि बिजली आपूर्ति के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं, और इस बस्ती में रहने वाले 34 काडर आदिवासी परिवारों को एक महीने के अंदर बिजली कनेक्शन मिलने की उम्मीद है.

बुधवार को तमिल नाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन (Tangedco) के वरिष्ठ अधिकारियों ने उस आदिवासी बस्ती का निरीक्षण किया, जो एटीआर के उलांडी वन रेंज की सीमा के अंदर स्थित है.

इस इलाक़े से एक हाई वोल्टेज बिजली लाइन पहले से ही गुज़र रही है. आदिवासी परिवारों के घरों में इस्तेमाल के लिए वोल्टेज को बदलने के लिए Tangedco एक स्टेप-डाउन ट्रांसफ़ॉर्मर लगाएगा. इसके बाद ही बस्ती के घरों में बिजली आपूर्ति हो पाएगी.

टाइगर रिज़र्व के वन संरक्षक और फील्ड निदेशक एस रामसुब्रमण्यम ने बताया कि Tangedco जंगली जानवरों और लोगों की सुरक्षा के लिए इस हाई वोल्टेज मेन लाइन से आदिवासी बस्ती को बिजली की आपूर्ति करने के लिए छुपी हुई केबलों का इस्तेमाल करेगा.

रामसुब्रमण्यम और एटीआर (पोल्लाची डिवीजन) के उप निदेशक एम.जी. गणेशन ने पूरे प्रोसेस में तेज़ी लाने और आदिवासी घरों को जल्द से जल्द बिजली देने के लिए इलाक़े का कई बार दौरा किया.

उलांडी वन रेंज अधिकारी ए कासिलिंगम ने कहा कि एटीआर के पोल्लाची डिवीजन की सीमा के अंदर 18 आदिवासी बस्तियां हैं, और इनमें पहले वाले सभी परिवार फ़िलहाल सोलर पावर से चलने वाली रोशनी पर निर्भर हैं.

फ़िलहाल, टॉप स्लिप में आदिवासी बच्चों के लिए बने रेज़िडेंशियल मिडिल स्कूल में बिजली कनेक्शन है, जहाँ हॉस्टल में रहने वाले बच्चे रात में पढ़ सकते हैं. लेकिन जो बच्चे हॉस्टल में नहीं रहते, उनके लिए सूरज ढल जाने के बाद पढ़ना लिखना काफ़ी मुश्किल हो जाता है. जल्द ही, एरुमपारई के छात्र भी रात में पढ़ सकेंगे क्योंकि बिजली उनके घरों को रोशन कर देगी.

एरुमपारई में बिजली आपूर्ति के बाद, एटीआर के वन अधिकारी अब दूसरी आदिवासी बस्तियों में भी बिजली कनेक्शन देने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. ख़ासकर उन बस्तियों में जहां के आदिवासियों को उनके घरों का पट्टा जारी किया जा चुका है.

आनमलई टाइगर रिज़र्व के अदंर बसे आदिवासियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन घने जंगलों में जंगली जानवरों का डर इन्हें दिन-रात सताता है. इसके अलावा मौसम की मार भी इन्हें अकसर झेलनी पड़ती है.

तमिल नाडु सरकार ने पिछले साल नवंबर में जंगल में बसे कुछ काडर आदिवासी परिवारों को ज़मीन के पट्टे दिए थे. लेकिन अभी भी कई ऐसे आदिवासी हैं यहां जो पट्टों का इंतज़ार कर रहे हैं.

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