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कोविड-19 के प्रसार को रोकने के ओडिशा सरकार के इंतज़ाम ने बढ़ाईं आंध्र प्रदेश के आदिवासियों की मुश्किल

कोविड-19 के प्रसार को रोकने के ओडिशा सरकार के प्रबंधों ने आंध्र प्रदेश के कई आदिवासी गांवों को  मुश्किल में डाल दिया है. दोनों राज्यों की सीमा पर बसे कई गांवों के आदिवासी लोग अब आंध्र प्रदेश में अपने मंडल मुख्यालय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.

दरअसल, ओडिशा सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए प्रतिबंध लगाए हैं. इसके तहत आंध्र प्रदेश से लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए श्रीककुलम के कोट्टुरु मंडल के आलती गांव में दोनों राज्यों की सीमा पर गहरे गड्ढे खोदे गए हैं.

इससे इस इलाक़े के आदिवासी, जिन्हें आंध्र प्रदेश जाने के लिए ओडिशा की सड़कों से होकर जाना पड़ता था, अब परेशानी में हैं.

ओडिशा में प्रवेश की अनुमति सिर्फ़ उन लोगों को है, जिनके पास कोविड नेगेटिव रिपोर्ट है. ओडिशा सरकार ने सभी अंतरराज्यीय सड़कों (नैशनल हाइवे, स्टेट हाइवे और ज़िला सड़कों) पर चेकपोस्ट स्थापित किए हैं.

इसके अलावा ओडिशा के अधिकारियों ने कोट्टूरू मंडल के आलती गाँव, भामिनी मंडल के जगन्नाथपुरम गाँव, मेलियपुट्टी मंडल के भिन्नला और अरखंडी गाँवों में सीमा पर गड्ढे खोद दिए हैं. इसके पीछे वजह है आंध्र प्रदेश से सब्जी विक्रेताओं और अन्य व्यापारियों का प्रवेश रोकना.

लेकिन इन गड्ढों ने आंध्र प्रदेश के कोट्टुरु मंडल में आलती, बलदा, कुडुमू, कौशल्या पुरम और कुरीगम जैसे आदिवासी गांवों को राज्य से अलग कर दिया है, और लोग अपने मंडल मुख्यालय तक नहीं पहुंच पा रहे.

यह गांव भले ही आंध्र प्रदेश में आते हैं, लेकिन गांववालों को ओडिशा की सड़कों पर सफ़र करना पड़ता है. दरअसल, दस बस्तियों वाली इस पंचायत के चारों तरफ़ का इलाक़ा ओडिशा में आता है.

अगर पंचायत के लोग अपने मंडल मुख्यालय जाना चाहते हैं, तो उन्हें ओडिशा की सड़कों पर यात्रा  करनी होगी. और उसके लिए हर बार उन्हें कोविड टेस्ट कराना पड़ेगा.

आधिकारिक काम के अलावा चिकित्सा सहायता और अन्य ज़रूरतों के लिए भी वह अपने मंडल मुख्यालय नहीं पहुंच पा रहे.

अधिकारियों से कई शिकायतों और काफ़ी जद्दोजहद के बाद अब ओडिशा सरकार ने आल्टी में बनाए गए गड्ढों को भर दिया है. अब बाकि के गांवों के लोग भी ऐसा होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

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