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आदिवासी इलाकों को मिली डबल सर्किट बिजली की सुविधा

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत प्रसारण कंपनी लिमिटेड (CSPTCL) ने डोंगरगांव से मोहला तक 60 किलोमीटर लंबी 132 केवी की डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाइन शुरू कर दी है.

इस योजना से आदिवासी और वन बहुल क्षेत्रों में रहने वाले हज़ारों परिवारों को अब स्थायी रूप से बिजली मिल सकेगी.

करीब 6 करोड़ रुपये की लागत से बने इस प्रोजेक्ट से 250 से अधिक गाँव सीधे लाभान्वित होंगे.

अब तक मोहला का 132 केवी सबस्टेशन केवल एक सिंगल सर्किट लाइन से जुड़ा था.

ऐसे में लाइन में किसी भी तरह की खराबी आने पर पूरे क्षेत्र की बिजली ठप हो जाती थी.

लेकिन अब डबल सर्किट प्रणाली की वजह से मोहला और आसपास के गाँवों को वैकल्पिक सप्लाई रास्ता मिलेगा. यानी अगर एक लाइन में तकनीकी दिक्कत आती है तो दूसरी लाइन से बिजली की आपूर्ति जारी रहेगी.

अधिकारियों का कहना है कि इस लाइन से खेती-किसानी और सिंचाई परियोजनाओं को बड़ी राहत मिलेगी.

इन आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे छोटे उद्योग भी अब बिना रुकावट काम कर पाएँगे.

वोल्टेज स्थिर रहने से चावल मिल, आटा चक्की और वेल्डिंग जैसे कारोबारों को फायदा होने की बात भी की जा रही है.

इन आदिवासी गाँवों में बिजली की सुविधा पहुँचने के बाद भी यहां अक्सर बिजली में कटौती देखने को मिलती थी.   

इससे आदिवासी बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता था. अब बच्चों की पढ़ाई के समय रोशनी बाधित नहीं होगी और घरेलू कामकाज भी आसानी से हो सकेंगे.

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत प्रसारण कंपनी लिमिटेड (CSPTCL)  के प्रबंध निदेशक राजेश कुमार शुक्ला ने कहा कि टीम ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी काम पूरा किया.

राजेश कुमार ने इसे राज्य के पिछड़े इलाकों तक भरोसेमंद बिजली पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया.

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम आदिवासी बहुल क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक विकास में अहम योगदान देगा. इसके साथ ही इससे वन विभाग के कार्यों में भी आसानी होगी.

बीते दिनों कई आदिवासी गाँवों से लगातार बिजली कटौती और अनियमित आपूर्ति की शिकायतें सामने आई थीं.

डोंगरगांव–मोहला ट्रांसमिशन लाइन के शुरू होने से इन परेशानियों पर काफ़ी हद तक रोक लगेगी.

(Image is for representation purpose only.)

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