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बीरभूम में सातवीं कक्षा की आदिवासी छात्रा की हत्या, शिक्षक पर गंभीर आरोप

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से एक बहुत दुखद और डरावनी खबर सामने आई है.

रामपुरहाट इलाके के पास रहने वाली एक सातवीं कक्षा की छात्रा, जो कि एक आदिवासी परिवार से थी, उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई.

अब इस मामले में पुलिस ने जांच पूरी करके अदालत में चार्जशीट जमा कर दी है.

यह घटना 28 अगस्त को शुरू हुई थी, जब लड़की ट्यूशन पढ़कर घर नहीं लौटी.

परिवार वालों ने उसे बहुत ढूंढा, लेकिन जब वह कहीं नहीं मिली, तो उसके पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट (Missing Report) दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस ने भी जांच शुरू की.

करीब दस दिन बाद, 16 सितंबर की रात को एक नाले से नीले रंग के बैग में एक लाश के टुकड़े मिले. जब जांच हुई तो पता चला कि ये उसी लड़की के शरीर के हिस्से थे जो लापता थी.

यह खबर सुनकर पूरे गांव में शोक और गुस्से का माहौल बन गया.

पुलिस की जांच में पता चला कि इस घटना में स्कूल के ही एक शिक्षक मनोज कुमार पाल शामिल था.

वह छात्रा को पहले से जानता था और उसी ने उसे अगवा किया.

पुलिस का कहना है कि लड़की को अगवा करने के बाद कुछ दिन तक उसे कहीं छिपा कर रखा गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई.

उसके बाद आरोपी ने लाश के टुकड़े करके उन्हें फेंक दिया.

इस घटना से गांव के लोग बहुत नाराज़ हो गए और उन्होंने राज्य हाइवे को जाम कर दिया.

लोगों ने मांग की कि आरोपी को सख्त से सख्त सज़ा दी जाए.

प्रदर्शन करीब 24 घंटे तक चला. गांव वालों का कहना था कि एक मासूम बच्ची के साथ इतनी बेरहमी करने वाले को छोड़ना नहीं चाहिए.

पुलिस ने इस मामले में जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें हत्या, अगवा करना, और बलात्कार जैसी गंभीर धाराएँ लगाई गई हैं.

क्योंकि लड़की नाबालिग थी, इसलिए पुलिस ने POCSO कानून (जो बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के लिए है) की धाराएँ भी जोड़ी हैं.

साथ ही, लड़की आदिवासी समाज से थी, इसलिए SC/ST एक्ट भी लगाया गया है.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस मामले की बहुत गंभीरता से जांच की है.

पुलिस प्रमुख ने कहा कि वे चाहते हैं कि लड़की के परिवार को जल्दी से जल्दी न्याय मिले.

उन्होंने यह भी बताया कि कुछ फॉरेंसिक रिपोर्ट अभी बाकी हैं और हो सकता है कि आगे और लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो.

इस घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया है.

लोग कह रहे हैं कि अब स्कूल और गांव में बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है.

आदिवासी समाज के कई संगठनों ने भी इस हत्या की निंदा की है और सरकार से अपील की है कि ऐसे अपराध दोबारा न हों.

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