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केरल: पढ़ाई जारी रखने के लिए आदिवासी छात्रों की हॉस्टल में होगी वापसी

आदिवासी छात्रों के लिए उचित ऑनलाइन शिक्षा सुविधाओं के अभाव में केरल के इडुक्की ज़िले में आदिवासी विभाग ने इन छात्रों के लिए ज़िले के सभी आदिवासी हॉस्टल खोलने की सिफ़ारिश की है.

ज़िले में 2,000 से ज़्यादा आदिवासी छात्रों के पास ऑनलाइन शिक्षा जारी रखने के लिए कोई गैजेट (स्मार्टफ़ोन या टैबलेट) नहीं है. इन हालात में आदिवासी विभाग का कहना है कि ट्रायल बेसिस पर 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए हॉस्टल खोले जा सकते हैं.

अडिमाली के पूर्व ट्राइबल डेवलपमेंट ऑफ़िसर (TDO) अनिल भास्कर ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि उन्होंने आदिवासी छात्रों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए हॉस्टल कोलने के लिए अनुमति मांगी थी.

“ज़िले के कई इलाक़ों में छात्रों की शिक्षा अधर में है, क्योंकि या तो उनके पास गैजेट नहीं हैं, या फिर कनेक्टिविटी की दिक्कत है. मौजूदा हालात में, इन छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए ऑफ़लाइन शिक्षा ही एकमात्र तरीका है,” भास्कर ने कहा.

छात्रों की मुश्किलों को देखते हुए ज़िले के शिक्षकों ने भी कहा कि वो ऑफ़लाइन क्लास लेने के लिए तैयार हैं. इडुक्की ज़िले में बारह आदिवासी हॉस्टल और दो आदर्श आवासीय विद्यालय आदिवासी विभाग के अधीन हैं. इनका खोलने की अनुमति मिलने से छात्रों की दिक्कतों को हल निकल जाएगा.

हॉस्टल में प्रवेश से पहले सभी छात्रों के कोविड-19 टेस्ट करने का प्लान है. इसके अलावा सभी शिक्षकों का वैक्सिनेशन भी सुनिश्चित किया जाएगा. दसवीं से बारहवीं के छात्रों के लिए हॉस्टल एक सितंबर से खोले जाएंगे.

समग्र शिक्षा केरल (SSK) इडुक्की ज़िला परियोजना की समन्वयक डी बिंदुमोल ने अखबार से कहा कि ज़िले में दो हॉस्टल एसएसके के अधीन हैं. आदिवासी हॉस्टल खुलने के बाद इन्हें खोलने की अनुमति भी मांगी जाएगी.

अनुमान के मुताबिक, 13,517 छात्रों के पास ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने के लिए कोई सुविधा नहीं है. यह भी माना जा रहा है कि तीन महीने की ऑनलाइन क्लास के बाद, अधिकांश छात्र पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो गए हैं.

इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी है. इडुक्की के उप्पुतरा के निवासी जोमोन थॉमस ने कहा कि कन्नमबाड़ी में 200 से ज़्यादा छात्र बिजली की बाड़ को पार करते हैं और हर दिन ऑनलाइन क्लास में भाग लेने के लिए एक पहाड़ी पर चढ़ते हैं.

यह कितना ख़तरनाक हो सकता है, यह हम सभी जानते हैं.

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