Mainbhibharat

ऑनलाइन आदिवासी क्विज़ में किसने मारी बाज़ी, कौन जाएगा गोवा

9 अगस्त यानि विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) पर देश के अलग-अलग हिस्सों कई कार्यक्रम हुए. इस दिन भारत की जनजातीय विरासत पर आधारित एक ऑनलाइन क्विज कम्पटीशन के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाने के लिए देश भर से आदिवासी मूल के बहु-विषयक डिजाइनरों का एक ग्रुप ऑनलाइन एकत्र हुआ.

इस क्विज में आदिवासी संस्कृति, इतिहास, भूगोल, संग्रहालय, कला, वास्तुकला, संगीत, नृत्य, कपड़े, व्यंजन, भाषाएं, लिपियां, साहित्य और स्वदेशी ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है जो भारत की समृद्ध आदिवासी विरासत को उजागर करते हैं.

इस प्रतियोगिता का समापन रांची विश्वविद्यालय के अभिजीत मुंडा की जीत के साथ हुआ. अभिजीत मुंडा ने पुरस्कार में गोवा में तीन रातें बिताने का पैकेज जीता. उनका सारा खर्च इंडिया टूरिज्म मुंबई उठाएगा. इस यात्रा पैकेज को एक कैलेंडर वर्ष के भीतर कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

वेंकटेशन दत्तात्रेय, क्षेत्रीय निदेशक (पश्चिम और मध्य) जोन, इंडिया टूरिज्म मुंबई ने कहा, “हमें एक ऐसी पहल का समर्थन करने में खुशी हो रही है जो हमें भारत की विशाल विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को फिर से खोजने में मदद करती है.”

उन्होंने कहा कि जनजातीय डिजाइन फोरम के क्विज कम्पटीशन का समर्थन करने से हमें गोवा और झारखंड के बीच बातचीत की सुविधा के लिए एक और मंच मिला है. दोनों राज्यों को भारत सरकार की एक भारत, श्रेष्ठ भारत पहल के तहत जोड़ा गया है.

प्रतियोगिता का दूसरा पुरस्कार राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद के प्रदर्शनी डिजाइन की छात्रा वर्षा मारियो कच्छप ने जीता. उन्होंने नागालैंड में स्वदेशी खियमनिउंगन समुदाय द्वारा बास्ट फाइबर से बने अद्वितीय दस्तकारी टोट बैग जीते. यह पुरस्कार नागालैंड में स्टूडियो प्रेडिक्शन की मार्गरेट ज़िन्यू (Margaret Zinyu) द्वारा प्रायोजित किया गया था.

तीसरा पुरस्कार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद से टेक्सटाइल डिजाइन की छात्रा कनिष्ठ कुजूर ने जीता. उन्होंने उत्तराखंड में थारू जनजाति द्वारा जंगली घास से बनी “सजावटी प्लेटों” का एक सेट जीता. यह पुरस्कार उत्तराखंड में टिक्कू डिजाइन स्टूडियो की प्रियंका टोलिया द्वारा प्रायोजित किया गया था.

इसके अलावा अन्य पुरस्कारों में नई दिल्ली स्थित ब्रांड फ्रॉग मैग द्वारा डिजाइन, निर्मित और प्रायोजित जनजातीय कला को दर्शाने वाले मर्चेंडाइज शामिल थे. जनजातीय डिजाइन फोरम आदिवासी मूल के डिजाइनरों को प्रेरित करने और भारत में आदिवासी समुदायों की बेहतरी के लिए डिजाइन का अभ्यास करने के लिए उनके लिए एक बेहतर मंच बनाने का कोशिश करता है.

Exit mobile version