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ग्वालियर के भितरवार में आग से झुलसकर आदिवासी बच्ची की मौत

मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के भितरवार इलाके से एक दर्दनाक हादसा सामने आया है.

बेलगढ़ा थाना क्षेत्र के गजना बाजना गांव के एक आदिवासी परिवार की झोपड़ी में देर रात अचानक आग लग गई.

इस हादसे में पांच साल की मासूम बच्ची की आग में झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई.

सूत्रों के अनुसार, अरविंद, उसके माता-पिता, पत्नी और बच्चे शिवपुरी ज़िले के पिछोर में रहते थे. वे ईंट भट्टे में काम करने के लिए कुछ दिन पहले ही बेलगढ़ा के गजना गांव आए थे.

अरविंद अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ भट्टे से कुछ दूरी पर एक झोंपडी में रह रहा था. वहीं उसका बेटा और माता-पिता ईंट भट्टे के पास ही रह रहे थे.  

बुधवार की रात करीब 10 बजे उनकी झोपड़ी में आग लग गई.

जानकारी के अनुसार, जब झोंपड़ी में आग लगी उस समय वहां 5 साल की बच्ची के अलावा कोई नहीं था.

यह आग इतनी तेज़ थी कि कुछ ही समय में घास-फूस से बनी पूरी मड़ैया जलकर राख हो गई. गांववालों ने आग बुझाने की कोशिश की लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका.

घटना की खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुंचे.

एसडीओपी जितेंद्र नगाइच और बेलगढ़ा थाना प्रभारी अजय सिकरवार भी मौके पर पहुंचे.

साथ ही दमकल विभाग की टीम भी आई और आग बुझाने के साथ-साथ झोपड़ी में फंसी बच्ची को बचाने की कोशिश करने लगी. लेकिन जब तक बच्ची को बाहर निकाला गया तब तक वह बुरी तरह जल चुकी थी और दम घुटने से उसकी मौत हो चुकी थी.

इस घटना के बाद गांव में मातम का माहौल है. बच्ची की मौत से उसका परिवार सदमे में है. गांव के लोग प्रशासन से मदद की मांग कर रहे हैं.

भितरवार एसडीएम देवकीनंदन सिंह ने बताया कि परिवार को राहत राशि के रूप में 4 लाख रुपये का मुआवज़ा दिलाने की कोशिश कर रहा है. साथ ही 10 हज़ार रुपये अंत्येष्टि सहायता के रूप में दिए जाने की बात भी कही गई है.

फिलहाल आग लगने की वजह साफ नहीं हो पाई है.

पुलिस का कहना है कि वे जांच कर रहे हैं कि आग किस कारण लगी. हो सकता है कि आग बिजली के तारों या किसी अन्य वजह से लगी हो लेकिन इसकी पुष्टि जांच के बाद ही हो पाएगी.

प्रशासन को चाहिए कि वह पीड़ित परिवार की मदद के साथ-साथ गांव में फायर सेफ्टी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाए ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सके.

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