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बिजली कनेक्शन की मांग को लेकर अल्लूरी में आदिवासियों का प्रदर्शन

जहां एक तरफ पूरा देश रौशनी का त्योहार दिपावली मना रहा था वहीं आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामा राजू ज़िले के आदिवासियों ने अपने गांव में बिजली की मांग को लेकर हाथ से बनी बत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया.

अल्लूरी सीताराम राजू ज़िले के अनंतगिरी मंडल के बुरिगी गांव में ग्रामीणों ने जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

आदिवासी संघ के अध्यक्ष गोविंद ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी बुरिगी गांव को बिजली नहीं मिली है. उन्होंने कहा, “आजादी के 75 साल बाद भी 500 लोगों के गांव को बिजली नहीं मिली है. बावजूद इसके कि वो घने जंगल में जंगली जानवरों के बीच रहते हैं.”

गोविंद ने कम से कम अगली दिवाली पर बिजली मिलने की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा, “सरकार संविधान द्वारा दिए गए जीने का अधिकार भी प्रदान नहीं करती है. अब भी हम वन देवताओं से हमारे गांवों को बिजली की सुविधा प्रदान करने के लिए भीख मांगते हैं.”

इससे पहले मई में, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने कुरनूल ज़िले में दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत अक्षय ऊर्जा भंडारण बिजली परियोजना की आधारशिला रखी थी. गुम्मिथम टांडा में स्थित यह परियोजना ग्रीनको ग्रुप द्वारा शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य 5230 मेगावाट बिजली पैदा करना है.

विशेष रूप से, आंध्र प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बालिनेनी श्रीनिवास रेड्डी ने जून में कहा था कि राज्य सरकार आने वाले खरीफ सीजन में खेतों में करने वाले मजदूरों को दिन के समय नौ घंटे लगातार मुफ्त बिजली आपूर्ति प्रदान करेगी.

पत्रकारों को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा, “हमारी सरकार आने वाले खरीफ सीजन में खेतों को दिन के समय 9 घंटे लगातार मुफ्त बिजली आपूर्ति प्रदान करेगी. इसे संभव बनाने के लिए मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने 1700 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इस संबंध में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. अनंतपुर जिले में किसानों ने दिन-रात बिजली आपूर्ति की मांग की. उसी के अनुसार वहां बिजली की आपूर्ति की जाएगी.”

मंत्री ने कहा कि राज्य के ऊर्जा क्षेत्र पर कथित तौर पर पिछली टीडीपी सरकार की नीतियों के कारण 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.

उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री कर्ज के बोझ को छिपाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार ने विभाग को 18,000 करोड़ रुपये की सहायता दी है.

मंत्री ने कहा, “ऊर्जा विभाग के किसी भी हिस्से के निजीकरण का कोई सवाल ही नहीं है. हम कृषि भूमि में बिजली की मोटरों के लिए मीटर लगाते रहे हैं. यह केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार है. इससे किसानों पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि हम खेती के लिए मुफ्त बिजली मुहैया करा रहे हैं.”

(Photo Credit: ANI)

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