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आदिवासी लैंडस्लाइड पीड़ितों के लिए सरकारी घर एक सपना

अगस्त 2018 में हुए भूस्खलन में अपने घर और संपत्ति खोने वाले वायनाड के कुछ आदिवासी अभी तक आदिवासी विकास विभाग द्वारा वादा किया गए घरों के बनने का इंतजार कर रहे हैं.

कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही की वजह से, वायनाड के पूकोड में सुगंधगिरी डेयरी परियोजना के तहत आने वाली आनमला आदिवासी बस्ती में भूस्खलन पीड़ितों को घर का मालिकाना मिलने के लिए अभी और इंतजार करना होगा.

2018 में अपना सब कुछ खो देने के बाद से, पूकोड में स्थापित एक अस्थायी राहत शिविर में इलाके के 16 आदिवासी परिवार रह रहे हैं.

आनमला हैमलेट 1970 के दशक के अंत में सरकार द्वारा स्थापित पूर्व पूकोड डेयरी परियोजना का एक हिस्सा है. यह परियोजना बंधुआ आदिवासियों के पुनर्वास के लिए बनाई गई थी. परियोजना के तहत 110 आदिवासी परिवारों का पुनर्वास किया गया और हर एक को 5 एकड़ भूमि दी गई थी.

शिविर में रहने वाली एक आदिवासी महिला, 76 साल की वल्लची करप्पन ने मीडिया को बताया, “जहां दूसरे परिवारों को परियोजना के तहत खेती करने लायक ज़मीन मिली, हमें नाजुक पहाड़ी की चोटी पर बंजर ज़मीन मिली. हमारे घर और संपत्ति और पहाड़ी की चोटी से जुड़ी सड़क पूरी तरह से भूस्खलन में बर्बाद हो गई.”

उन्होंने यह भी बताया की परिवारों को आदिवासी मॉडल आवासीय विद्यालय (एमआरएस) में खोले गए अस्थायी राहत शिविर में शिफ्ट कर दिया गया था, और बाद में टिन की चादरों से ढके अस्थायी शेड में. लेकिन अभी तक उन्हें वो घर नहीं मिले हैं जिनका वादा उनसे किया गया था.

भीड़भाड़ के बीच कैंप में जीवन काफी दयनीय था, खासकर कोविड महामारी के दौरान, जब 16 परिवारों के करीब 90 सदस्य एक ही छत के नीचे रह रहे थे.

जनवरी 2021 में जिला प्रशासन ने जनजातीय लोगों के पुनर्वास के लिए आवंटित भूमि पर पीड़ितों के लिए घर बनाने के लिए जिला निर्माण केंद्र को निर्देश दिया.

हालांकि केंद्र ने निर्माण कार्य शुरू किया और 20 लाख रुपये भी खर्च किए, लेकिन जनजातीय पुनर्वास विकास मिशन के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद काम रोक दिया गया.

काम रोकने वाले अधिकारियों का दावा है कि ज़मीन मॉडल आवासीय विद्यालय के लिए आवंटित की गई थी, इसलिए पीड़ितों के लिए मकान बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

जनजातीय विकास विभाग के प्रधान सचिव ने हाल ही में विभाग के निदेशक को निर्माण कार्यों की अनुमति देने और इलाके के पास एमआरएस के लिए उपयुक्त ज़मीन खोजने का निर्देश जारी किया था, लेकिन यह काम अभी नहीं हुआ है.

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