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तेलंगाना: पुलिस पर आदिवासी आदमी की हिरासत में पिटाई का आरोप, एसपी ने दिए जांच के आदेश

23 साल के एक आदिवासी आदमी, वीरशेखर ने आरोप लगाया है कि तेलंगाना के सूर्यपेट ज़िले में पुलिस ने उसको गिरफ़्तार कर उसकी पिटाई की. उसका कहना है कि जिस अपराध के लिए उसे कस्टडी में लिया गया, वह उसने किया ही नहीं है. 

हिरासत में पुलिस द्वारा की गई मार-पीट के ख़िलाफ़ आदिवासी आदमी, उसके परिवार और अटमाकुर (एस) मंडल के गांव के कुछ निवासियों ने थाने के सामने विरोध प्रदर्शन किया.

सूर्यपेट ज़िले के पुलिस अधीक्षक एस राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

कुछ दिन पहले एलुरु गांव में एक चोरी की ख़बर आई थी, अटमाकुर पुलिस ने 5 नवंबर को मामला दर्ज किया और वीरशेखर को गिरफ्तार कर लिया. उनके परिवार का कहना है कि वीरशेखर बुधवार दोपहर अपने खेत में काम कर रहे थे, जब तीन लोग उनकी तलाश में आए और उन्हें थाने ले गए. उनके बड़े भाई और एक दूसरे रिश्तेदार ने भी उनका पीछा किया.

वीरशेखर ने बाद में टीवी चैनलों को बताया कि उसे खेती के उपकरण की चोरी के सिलसिले में बुधवार को थाने ले जाया गया. उसका आरोप है कि थाने में एक सब-इंस्पेक्टर सहित तीन पुलिस कर्मियों ने उसकी पिटाई की.

बुधवार को आधी रात के बाद वीरशेखर के पड़ोसियों में से एक को पुलिस स्टेशन से फोन आया और उसे घर ले जाने के लिए कहा. परिवार के सदस्य जब उसे लेने थाने पहुंचे तो वीरशेखर उन्हें बेहोशी की हालत में मिला. परिवार के एक सदस्य ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को कहा, “जब हम पुलिस स्टेशन पहुंचे, तो वह बेहोश था. पुलिस ने कहा कि वह बीमार था. लेकिन उसे देखने के बाद, हम समझ गए कि उसे प्रताड़ित किया गया है.”

हालांकि वह उसे घर ले गए, लेकिन बाद में वे उसे वापस थाने ही ले गए. तब तक बस्ती के दूसरी कई निवासी थाने पहुंच गए और थाने पर धरना दिया. होश में आने के बाद वीरशेखर ने कहा कि पुलिस ने उसे थाने ले जाने की कोई वजह नहीं बताई, और उसकी जमकर पिटाई की.

एसपी का कहना है कि चोरी की जांच के सिलसिले में पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और दूसरे लोगों के बयान के आधार पर ही आदिवासी आदमी की पहचान की गई थी. इसके बाद उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया, और शुक्रवार को पुलिस के सामने फिर से पेश होने के निर्देश देकर छोड़ दिया गया.

हालांकि पुलिसकर्मियों पर लगे आरोपों के बाद एसपी ने अब घटना की जांच करने और एक रिपोर्ट सौंपने के लिए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रैंक के एक अधिकारी को कहा है, ताकि आगे की कार्रवाई शुरू की जा सके.

इस बीच, आदिवासी आदमी को अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे जल्द ही छुट्टी दे दी गई.

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