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आदिवासी शख्स ने कहा कि हिरासत में उसका उत्पीड़न किया गया, केरल पुलिस ने दावा खारिज किया

वायनाड में शनिवार को एक आदिवासी व्यक्ति ने दावा किय़ा कि हिरासत में उसका उत्पीड़न किया गया और चोरी की बात कबूल करने के लिए मजबूर किया गया.

इसके बाद विपक्षी दल कांग्रेस, भाकपा की युवा शाखा एआईएसएफ और सीपीआई ने संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. लेकिन पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने इन आरोप को खारिज कर दिया.

मीनांगड़ी के नजदीक अतिकाडावू पनिया आदिवासी कॉलोनी के दीपू (22) ने कुछ टेलीविजन चैनलों से कहा कि पुलिस ने उसका उत्पीड़न किया और 5 नवंबर को एक कार चोरी की बात कबूल करने के लिए मजबूर किया. उसने कहा कि बाद में एक मोटरसाइकिल और एक घर में चोरी की बात कबूल करने के लिए भी उसे बाध्य किया गया.

दीपू के रिश्तेदारों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उसके खिलाफ फर्जी मामला बनाया गया और बताया कि उसे कार चलाना नहीं आता है.

हालांकि वायनाड के पुलिस अधीक्षक अरविंद सुकुमार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया और पीटीआई को बताया कि आरोपी डुप्लीकेट चाबी का इस्तेमाल कर कार में चढ़ा और कुछ दूर चला गया लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे पकड़ लिया.

एसपी ने कहा, “वह बाथेरी से कार चोरी करने की कोशिश कर रहा था. उसकी उंगलियों के निशान चोरी के एक मामले में मेल खाते थे, जहां एक घर से सोना और एक मोबाइल फोन चोरी हो गया था. मीनांगडी में एक और उदाहरण था जहां उसने एक स्कूटर चुराया था.” बाथेरी के पुलिस उपाधीक्षक द्वारा विस्तृत जांच की जा रही है.

दीपू की मां की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग के न्यायिक सदस्य के. बैजूनाथ ने पिछले बुधवार को जिला पुलिस अधीक्षक को मामले की जांच करने का आदेश दिया था. एसएचआरसी मामले की सुनवाई 14 दिसंबर को करेगा.

कांग्रेस नेता और विधायक, आईसी बालकृष्णन ने मीडिया को बताया कि पुलिस की कार्रवाई दलित समुदायों के साथ “घोर अन्याय” है और कांग्रेस पीड़ित को कानूनी समर्थन देगी.

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